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परिवार के खिलाफ जाकर बनी एक्ट्रेस, पीक पर छोड़ी फिल्में, 36 साल रही कमरे में बंद, मरने के बाद भी नहीं दिखाया किसी को चेहरा, बेटी और नातिनें हैं मशहूर एक्ट्रेस

इस एक्ट्रेस की कम उम्र में शादी हो गई थी और इतनी बिजी हो गई थीं कि पति और परिवार को समय नहीं दे पा रही थीं.

परिवार के खिलाफ जाकर बनी एक्ट्रेस, पीक पर छोड़ी फिल्में, 36 साल रही कमरे में बंद, मरने के बाद भी नहीं दिखाया किसी को चेहरा, बेटी और नातिनें हैं मशहूर एक्ट्रेस
इस हसीना को आपने पहचाना?
नई दिल्ली:

इंडियन सिनेमा में ना जाने कितनी एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने सफल होने के बाद भी गुमनामी में जिंदगी बिता दी. वैसे ही सिनेमा में एक्ट्रेस का करियर छोटा होता है और इनमें से जो थोड़ी बहुत कामयाब होती हैं, उनको वो नाम नहीं मिल पाती, जिसकी वह हकदार होती हैं. बात करेंगे इंडियन सिनेमा की उस एक्ट्रेस की जिसने अपनी सक्सेस के दौरान सिनेमा से दूरी बना ली और खुद को 36 सालों तक खुद को एक कमरे में कैद कर लिया था. यहां तक कि उसने अपने घरवालों से भी मिलने से इनकार कर दिया था.

कौन हैं यह एक्ट्रेस?
यह पहली ऐसी भारतीय एक्ट्रेस थीं, जिन्होंने साल 1963 में इंटरनेशनल अवार्ड जीता था. बात कर रहे हैं एक्ट्रेस सुचित्रा सेन की, जिन्होंने साल 1952 में बंगाली फिल्म से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. दो साल बाद ही 1954 में उन्होंने हिंदी सिनेमा में एंट्री ली और तीन दशक तक काम किया. एक्ट्रेस ने इस दौरान 30 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और ज्यादातर उनके हीरो उत्तम कुमार हुआ करते थे. सेन की हिट लिस्ट में देवदास, आंधी, बम्बई का बाबू और ममता शामिल हैं. 70 के दशक के मध्य में वह एक टॉप एक्ट्रेस बन चुकी थीं. उनकी आखिरी फिल्म प्रणय पाशा (1978) थी.

ऐसा क्या हुआ एक्ट्रेस के साथ?
सुचित्रा की शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी, लेकिन एक्ट्रेस के पति और ससुरालवालों ने उन्हें फिल्में करने से मना नहीं किया, लेकिन सुचित्रा अपने फिल्मी करियर में इतनी बिजी हो गईं कि वह पति और फैमिली को समय नहीं दे पा रही थीं, जिससे उनकी पति संग बिगड़ने लगी. वहीं, सुचित्रा के पति शराब के आदी हो गए और दिन रात नशे में रहने लगे. इतना ही नहीं उन्होंने पत्नी सुचित्रा को छोड़ दिया और अमेरिका चले गए और फिर साल 1970 में उनकी मौत हो गई.

इधर, सुचित्रा ने फिल्मों से दूरी बनाने के बाद खुद को घर की चारदीवारी में कैद कर लिया और 36 सालों तक किसी से बात नहीं की. वह खाती-पीती और सो जातीं. यहां तक कि परिवार का कोई सदस्य भी उनसे नहीं मिल सकता था. वह अपने चेहरे को ढककर ही अपने कमरे से बाहर निकलती थीं. साल 2014 में उनका निधन हो गया था और किसी को भी उनका चेहरा देखने की अनुमति नहीं दी गई थी. ऐसा कहा जाता है कि सुचित्रा रामकृष्ण आश्रम के भरत महाराज से जुड़ गईं और खुद को आध्यात्म के लिए समर्पित कर दिय था.

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