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शबाना आजमी का कॉलेज में सीनियर था ये एक्टर, वकालत छोड़ चुनी एक्टिंग तो बेटे के फैसले से खफा हो गए थे पिता, फिर....

'तुमको देखा तो ये ख्याल आया' गाने में नजर आने वाले 70 से 90 के दशक के फेमस एक्टर फारूख शेख वकालत की पढ़ाई पूरी कर चुके थे.

शबाना आजमी का कॉलेज में सीनियर था ये एक्टर, वकालत छोड़ चुनी एक्टिंग तो बेटे के फैसले से खफा हो गए थे पिता, फिर....
पहली ही फिल्म को फ्री में कर बैठा था ये एक्टर
नई दिल्ली:

'तुमको देखा तो ये ख्याल आया'... दिल को छू लेने वाला ये गाना हो या इस गाने के एक्टर, फैंस कभी भी इस मंझे कलाकार को भूल नहीं सकते. खूबसूरत अदायगी, सादी सी मुस्कान, चेहरे पर शीतलता और दर्शकों की पसंद का ख्याल, इन गुणों से भरे थे दिवंगत एक्टर फारुक शेख. अभिनय जगत के सफल कलाकार से उनके पिता तब खफा हो गए थे, जब उन्हें उनके करियर के बारे में पता चला था. 25 मार्च को अभिनेता की जयंती है. आइए उनकी जिंदगी के पन्नों को पलटते हैं...  

फारुक शेख की गिनती हिंदी सिनेमा के उन सितारों में की जाती है, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनके अभिनय का अंदाज एकदम अलग हटकर था, उन्होंने न ज्यादा एक्शन किया, न ज्यादा भारी या बड़े डायलॉग बोले, मगर फैंस उनकी सादगी के कायल थे. वह सहजता के साथ अपने किरदार को बहा ले जाते थे. हालांकि, फारुख शेख के पिता को जब पता चला कि उनकी अभिनेता बनने की चाहत है तब वह नाराज हो गए और उनसे बात करना बंद कर दिया था.

जानकारी के अनुसार, फारुख ने सेंट जेवियर्स के बाद सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ से अपनी वकालत पूरी की तो उनके पिता को उम्मीद थी कि वह भी उनकी ही राह पर चलेंगे और वकालत को अपना पेशा बनाएंगे, लेकिन कॉलेज के दिनों से ही शेख अभिनय की ओर आकर्षित हो गए और उसी में अपना करियर बनाने के बारे में सोचने लगे. उन्हें जब मशहूर निर्देशक एमएस सथ्यू ने पहली फिल्म में काम का ऑफर दिया, तो शेख तैयार हो गए और बिना पैसे के काम करने को राजी हो गए.

फिल्म 'गरम हवा' में काम करने का ऑफर पाकर वह काफी खुश थे और जब उन्होंने अपनी खुशी और फिल्म की कहानी पिता के साथ शेयर की तो उनके पिता का गुस्सा गायब हो गया. पिता को मनाने के लिए फिल्म की कहानी को शेख ने सहजता के साथ समझाया था, जिसे सुनकर उनके पिता ने सहमति दे दी थी.

ये वो वक्त था जब एमएस सथ्यू के पास फिल्म बनाने के पैसे भी नहीं थे और वह ऐसे कलाकारों को कास्ट करना चाहते थे, जो मुफ्त में काम कर सकें. फिल्म रिलीज हुई तो फारुक के काम को हर किसी ने पसंद किया. शेख अपने किरदार में जान डाल देते थे और उसी में रम जाते थे.

70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा को बेहतरीन फिल्में देने के बाद अभिनेता लगभग 15 साल अभिनय की दुनिया से दूर थे. साल 2009 में उन्होंने फिल्म 'लाहौर' के साथ वापसी की और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अपने नाम किया. शबाना आजमी कॉलेज के दिनों से शेख की दोस्त थीं. हालांकि, वह उनकी जूनियर थीं. दोनों ने साथ में कई ड्रामा में काम किया. शेख का जन्म 25 मार्च को गुजरात के अमरोली में वकील पिता मुस्तफा शेख और फरिदा शेख के घर में हुआ था.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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