कंगना रनौत और स्वरा भास्कर (Swara Bhasker) के बीच सोशल मीडिया पर जबरदस्त घमासान चल रहा है. कंगना रनौत ने जहां एक्ट्रेस को बी ग्रेड एक्ट्रेस कहा था वहीं यह भी दावा किया था कि बॉलीवुड में 2014 में 'क्वीन' फिल्म से फेमिनिज्म की शुरुआत हुई तो इस पर अब बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने ट्वीट के जरिये कंगना रनौत को जवाब दिए हैं. स्वरा भास्कर के यह ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. कंगना ने रनौत (Kangana Ranaut) ने अपने एक ट्वीट में कहा था, 'डियर स्वरा भास्कर आप में से किसी का भी सिनेमा के स्वर्ण काल में जन्म नहीं हुआ था, गैंगस्टर माफिया और डॉन के इंडस्ट्री को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद यह गटर की गंधियाने लगी थी और 2014 में क्वीन के साथ पैरेलल सिनेमा और फेमिनिज्म की नींव पड़ा, अगर नहीं तो प्लीज हमें सही करना, यह कब हुआ?'
कंगना जी & her team,1955 में सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली को पैरलेल सिनमा का आग़ाज़ माना जाता है। उनके साथ मृणाल सेन & ऋत्विक घटक इस सिनमा के parents माने जाते हैं। 70 के दशक में न्यू वेव सिनमा आया (मणि कौल, कुमार शाहणी, सईद मिर्ज़ा, श्याम बेनेगल, कुंदन शाह etc.), साथ ही साथ 1/n https://t.co/iAQSWp2VUG
— Swara Bhasker (@ReallySwara) July 21, 2020
साथ साथ Middle cinema में साई परांजपे जी इत्यादि, फ़ारूक़ शेख़ सर, दीप्ति नवल जी, अमोल पालेकर साहब यादगार चेहरे हैं। 2000 के बाद के बदलते बॉलीवुड सिनमा में, मैं पीपली liveभेजा फ़्राई, खोसला का घोंसला को पैरलेल स्पेस में मानती हूँ। क्वीन (2013) मेरे लिए मेन्स्ट्रीम फ़िल्म थी। 2/n https://t.co/iAQSWp2VUG
— Swara Bhasker (@ReallySwara) July 21, 2020
तनु वेड्ज़ मनु के साथ आपने, आनंद राय & हिमांशु शर्मा ने कमर्शल मेन्स्ट्रीम बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। kudos! नहीं, क्वीन पैरलेल सिनमा नहीं। रही बात फ़ेमिनिस्ट फ़िल्मों की तो English Vinglish (2012), क्वीन के पहले आयी थी। Sridevi जी & गौरी शिन्दे को श्रेय मिलना चाहिए। 3/n finhttps://t.co/iAQSWp2VUG
— Swara Bhasker (@ReallySwara) July 21, 2020
स्वरा भास्कर (Swara Bhasker) ने कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को जवाब देने के लिए एक के बाद एक तीन ट्वीट किए, 'कंगना जी और उनकी टीम,1955 में सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली को पैरलेल सिनमा का आगाज माना जाता है. उनके साथ मृणाल सेन और ऋत्विक घटक इस सिनमा के पेरेंट्स माने जाते हैं. 1970 के दशक में न्यू वेव सिनमा आया (मणि कौल, कुमार शाहणी, सईद मिर्जा, श्याम बेनेगल, कुंदन शाह इत्यादि), साथ साथ मिड्ल सिनेमा में साई परांजपे जी इत्यादि, फारूक शेख सर, दीप्ति नवल जी, अमोल पालेकर साहब यादगार चेहरे हैं. 2000 के बाद के बदलते बॉलीवुड सिनमा में, मैं पीपली लाइव, भेजा फ्राई, खोसला का घोंसला को पैरलेल स्पेस में मानती हूं. क्वीन (2013) मेरे लिए मेनस्ट्रीम फिल्म थी. तनु वेड्ज मनु के साथ आपने, आनंद राय और हिमांशु शर्मा ने कमर्शल मेनस्ट्रीम बॉलीवुड को एक नया रूप दिया. नहीं, क्वीन पैरलेल सिनमा नहीं. रही बात फेमिनिस्ट फिल्मों की तो इंग्लिश विंग्लिश (2012), क्वीन के पहले आयी थी. श्रीदेवी जी और गौरी शिन्दे को श्रेय मिलना चाहिए.' इस तरह स्वरा भास्कर ने कंगना रनौत को जवाब दिया है.
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