स्टार्स को लेकर क्रेज कोई नई बात नहीं है. आज तो फिर भी अगर हमारा फेवरेट स्टार सामने पड़ जाए तो हम सेल्फी वगैरह लेलें लेकिन सालों पहले जब सेल्फी का जमाना नहीं था तब को ऑटोग्राफ के लिए कागज ढूंढते हुए ही हाथ कांपने लगते थे. कई दफा लोग फिल्म स्टार्स को देखकर बेहोश तक हो जाते थे. चिट्ठियां लिखना, ग्रीटिंग कार्ड भेजना, पोस्टर्स इकट्ठे करना उस वक्त का प्यार हुआ करता था. ऐसे ही सुनील दत्त को भी एक एक्ट्रेस पसंद थीं. उस वक्त वो खुद फिल्म स्टार नहीं थे. शुरुआत में सुनील दत्त रेडियो सिलॉन में बतौर अनाउंसर काम किया करते थे और उनकी फेवरेट एक्ट्रेस हुआ करती थीं नरगिस.
फिल्म फेयर में दी गई जानकारी के मुताबिक एक बार सुनील दत्त को नरगिस का इंटरव्यू करना था...लेकिन उन्हें सामने देखकर सुनील बुरी तरह नर्वस हो गए. वो उनके सामने एक शब्द भी नहीं बोल पाए. सुनील की हालत देखते हुए आखिर में इंटरव्यू ही कैंसल करना पड़ा. इसके बाद जब सुनील खुद एक्टर बने तो 1957 में नरगिस के साथ काम करने का मौका मिला. ये फिल्म हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में से एक है. यूं तो सुनील दत्त फिल्म की हीरोइन नरगिस के बेटे के रोल में थे लेकिन इसी फिल्म से उनकी लव स्टोरी की शुरुआत हुई.
दरअसल नरगिस का आग के बीच फंसने का एक सीन था. इस सीन में अचानक आग ज्यादा भड़क गई और नरगिस फंस गईं. अब किसी को समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें बाहर कैसे निकाला जाए लेकिन अचानक सुनील दत्त आग में कूद पड़े और हीरो की तरह नरगिस को बचाया. यहीं से दोनों की दोस्ती और गहरी हो गई.
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