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This Article is From Sep 02, 2023

घर खर्च के लिए गिरवी रखने पड़े बीवी के गहने, गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद भी नहीं बदली इस एक्टर की लाइफ

गैंग्स ऑफ वासेपुर ने कई एक्टर्स को स्टार बना दिया लेकिन एक एक्टर के लिए उसका असली संघर्ष इस फिल्म के बाद शुरू हुआ.

घर खर्च के लिए गिरवी रखने पड़े बीवी के गहने, गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद भी नहीं बदली इस एक्टर की लाइफ
गैंग्स ऑफ वासेपुर में तिग्मांशु धूलिया और सत्यकाम
नई दिल्ली:

अनुराग कश्यप की क्राइम ड्रामा गैंग्स ऑफ वासेपुर ने फिल्म लवर्स के बीच कल्ट का दर्जा हासिल कर लिया है. दो किश्तों में आई इस फिल्म ने कई कलाकारों को बॉलीवुड में सफल करियर बनाने में मदद की है. मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी, तिग्मांशु धूलिया, हुमा कुरेशी, ऋचा चड्ढा और पीयूष मिश्रा जैसे टैलेंट्स के सच्चे फैन बने हैं. हालांकि फिल्म के एक एक्टर को फिल्म की रिलीज के बाद भी काफी संघर्ष करना पड़ा. दरअसल GOW के बाद उन्हें बॉलीवुड में अपने पैर जमाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. यह कोई और नहीं बल्कि विधायक जेपी सिंह उर्फ सत्यकाम आनंद हैं.

सत्यकाम आनंद का बैग्राउंड

सत्यकाम बिहार के आरा के रहने वाले हैं. सत्यकाम पढ़ाई में अच्छे नहीं थे. उनके बड़े भाई पटना साइंस कॉलेज में पढ़ रहे थे और उनके माता-पिता ने उन्हें थिएटर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. पहले तो उन्हें एक्टिंग की दुनिया समझ नहीं आई...लेकिन धीरे-धीरे वह रंगमंच की कला में दिलचस्पी लेने लगे.

खुदकुशी जैसा कठोर कदम उठाने वाले थे सत्यकाम

एक ट्रेन्ड एक्टर बनने के अपने सपने को आगे बढ़ाने के लिए सत्यकाम एनएसडी, दिल्ली जाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने अपने पिता से भी लड़ाई की और दो बार अपना घर भी छोड़ा. हालांकि वह एडमिशन पाने में सफल नहीं हो सके. इसी बीच वह अश्मिता थिएटर ग्रुप से जुड़ गये. जब सत्यकाम एनएसडी में शामिल होने में असफल रहे तो वह उदास हो गए. बुरी तरह टूट गए और निराश होने लगे. वह घर वापस जाने को तैयार नहीं थे और जीना नहीं चाहते थे. जोश टॉक्स में बोलते हुए सत्यकाम ने बताया था, "अब रह के करुंगा क्या, इतना भर था मेरे पर कि मैंने सोचा कि सबसे आसान सुसाइड करना होगा." लेकिन एक घटना ने उनका इरादा बदल दिया. दरअसल उन्होंने अपनी आंखों के सामने सड़क पर एक शख्स को मरते देखा...इसके बाद उन्होंने हार मानने की जगह कोशिश करने का फैसला लिया.

गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद भी नहीं खत्म हुआ संघर्ष

सत्यकाम और उनके दोस्तों ने फिल्म द्वंद्व (2009) बनाई और उन्होंने निर्देशकों और उनके रिश्तेदारों के लिए इसकी स्क्रीनिंग रखने का फैसला किया. सत्यकाम ने अपनी पत्नी से अनुराग कश्यप को बुलाने में मदद करने को कहा. फिल्म के बाद अनुराग काफी इंप्रेस हुए और सत्यकाम को उन्हें गैंग्स ऑफ वासेपुर में जेपी सिंह का रोल ऑफर किया. फिल्म रिलीज होने के बाद सत्यकाम कई सालों तक बेरोजगार रहे क्योंकि उन्हें अच्छा काम नहीं मिल रहा था और उन्हें एक फिल्म में 1-2 सीन ही ऑफर किए जा रहे थे.

गैंग्स... के बाद उनका संघर्ष बढ़ गया क्योंकि वह अपने परिवार के साथ मुंबई में रह रहे थे और खर्चे भी बढ़ चुके थे. एक दौर ऐसा भी आया जब उन्हें अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखने पड़े. सत्यकाम ने धड़क के लिए ऑडिशन दिया था लेकिन उन्होंने इस पर काम करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह इस किरदार से खुश नहीं थे. कई प्रोजेक्ट्स को ना कहने के बाद उन्हें शेरनी, सीरीज ग्रहण, डॉ अरोड़ा, अब दिल्ली दूर नहीं और लव-ऑल ऑफर हुए.

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