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This Article is From Feb 20, 2025

जेल जाते वक्त जब संजय दत्त को प्रेग्नेंट बीवी मान्यता की हुई चिंता, बॉलीवुड की इस एक्ट्रेस को किया था फोन, 9 महीने तक रही साथ

संजय की पत्नी मान्यता दत्त अपने जुड़वां बच्चों के साथ प्रेग्नेंट थीं. आगे जेल की सजा का सामना करने पर, संजय ने अपनी करीबी दोस्त और साथी अभिनेत्री से संपर्क किया था.

जेल जाते वक्त जब संजय दत्त को प्रेग्नेंट बीवी मान्यता की हुई चिंता, बॉलीवुड की इस एक्ट्रेस को किया था फोन, 9 महीने तक रही साथ
प्रेग्नेंट थी मान्यता और जेल में थे संजय, इस एक्ट्रेस ने रखा था ध्यान
नई दिल्ली:

बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त (Sanjay Dutt) ने 1993 के मुंबई बम धमाकों में शामिल होने के लिए पांच साल की जेल की सजा काटी थी. उन्हें अवैध हथियार रखने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था और 2016 में रिहा होने से पहले उन्हें अपनी सजा के दौरान कई बार जमानत दी गई थी. 2009-2010 के आसपास जेल में रहने के दौरान, संजय की पत्नी मान्यता दत्त अपने जुड़वां बच्चों के साथ प्रेग्नेंट थीं. आगे जेल की सजा का सामना करने पर, संजय ने अपनी करीबी दोस्त और साथी अभिनेत्री शीबा आकाशदीप से संपर्क किया और उनसे उनकी अनुपस्थिति में मान्यता का साथ देने के लिए कहा.

शीबा ने बताया- कितना मुश्किल था वो समय

हाल ही में पिंकविला से बातचीत में, शीबा ने संजय के जीवन के इस कठिन दौर को करीब से देखने के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि वह मान्यता के साथ उनकी प्रेग्नेंसी के दौरान खड़ी रहीं और इस बात का पूरा ध्यान रखा कि उन नौ महीनों के दौरान वह अकेली न रहें. शीबा ने कहा, "जब वह जेल जा रहे थे तो उन्होंने मुझे फ़ोन किया और कहा, 'मान्यता अकेली है, मैं चाहता हूं कि तुम जाकर उसकी देखभाल करो'. मैं रोजाना अपने घर से उसके पास बैठने जाती थी ताकि मैं उसके साथ रह सकूं क्योंकि वह प्रेंग्नेंट थी और अकेली थी. मैं उसके बाहर आने तक उसके साथ रहना चाहता थी. इसलिए, मैंने पूरे नौ महीने उसके साथ बिताए".

जेल में ये काम करते थे संजय

इससे पहले, शेफ रणवीर बरार के होस्ट शो स्टार बनाम फूड सर्वाइवल में पहुंचे संजय दत्त ने खुलासा किया था कि कैसे उन्होंने जेल में अपने समय का इस्तेमाल एक्सरसाइज करने और खाना बनाना सीखने के लिए किया. संजय ने कहा, “पहली बार जब मैं जेल गया था, अगर आप ठाणे जेल के बाहर की तस्वीरें देखें- अन्ना, अक्षय, अजय, शाहरुख, हर कोई मेरे पास आया और मुझे शुभकामनाएं दीं. मुझे जेल की सजा काटने से कोई राहत नहीं मिली, इसलिए इस बारे में ज़्यादा क्यों सोचना? मुझे अपना मन बनाना पड़ा कि हां मुझे जाना ही है. मुझे इसका सामना करना होगा. छह सालों में, मैंने इसका सामना किया, इसे संभाला, इसका पूरा फायदा उठाया और इससे सीखा. मैंने उस समय का इस्तेमाल खाना बनाना, शास्त्र सीखना और वर्कआउट करने में किया. मैं एक बेहतर काया के साथ बाहर आया".

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