सिद्धार्थ आनंद का खुलासा 'ऐसा लगता है 'सलाम नमस्ते' अपने वक्त से आगे की फिल्म थी

सलाम नमस्ते के सहारे सिद्धार्थ ने वाईआरएफ के साथ अपनी बेहद कामयाब रचनात्मक सहभागिता के 19 साल भी पूरे कर लिए हैं.

सिद्धार्थ आनंद का खुलासा 'ऐसा लगता है 'सलाम नमस्ते' अपने वक्त से आगे की फिल्म थी

मेकर सिद्धार्थ (Siddharth Anand) आनंद ने सलाम नमस्ते को लेकर कही ये बात

नई दिल्ली:

'ऐसा लगता था कि सलाम नमस्ते अपने वक्त से आगे की फिल्म है': अपनी कल्ट-क्लासिक की 15वीं सालगिरह पर फिल्म-मेकर सिद्धार्थ आनंद खुलासा कर रहे हैं कि उन्होंने इस अपरंपरागत रोमांस वाली फिल्म को डायरेक्ट करना क्यों चुना और बता रहे हैं वाईआरएफ के साथ अपने 19 वर्षीय सफर के बारे में सिद्धार्थ आनंद आज भारत के सबसे कामयाब युवा फिल्म-मेकरों में शामिल हैं. पिछले साल इस लेखक-निर्देशक ने भारत को साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘वार' दी थी! अपनी पहली फिल्म ‘सलाम नमस्ते' की 15वीं सालगिरह के मौके पर सिद्धार्थ बता रहे हैं कि कैसे उनकी अपरंपरागत रोमांटिक कॉमेडी को अक्सर अपने वक्त से आगे की फिल्म करार दिया जाता है.

सिद्धार्थ का कहना है- “मुझे लगता है कि ‘सलाम नमस्ते' एक ऐसे मुद्दे को उठा रही थी जो टैबू समझा जाता था या फिर उसके बारे में ज्यादा बात ही नहीं की जाती थी, लेकिन यह भारत के अंदर या विदेशों में बसे भारतीय समाज में बेहद प्रचलित था. भले ही यह अपने वक्त से आगे की फिल्म जान पड़ती थी लेकिन बात यह है कि फिल्म के अंदर जानबूझ कर कोई लज्जाजनक या चौंका देने वाला काम नहीं किया गया और कुछ अजीब करने की कोशिश भी नहीं हुई थी. जब फिल्म रिलीज हो रही थी और हमने इसमें दिखाए गए लिव-इन रिलेशनशिप को प्रचारित करना शुरू किया, तो मुझे उसी वक्त सचमुच ऐसा महसूस हुआ कि हम कुछ बिल्कुल नया करने जा रहे हैं!”

वह आगे बताते हैं, “मैंने कुछ अलग या नया करने की एकदम कोई कोशिश नहीं की थी. ये बिल्कुल इस तरह से था कि ठीक है, वे भाड़ा शेयर कर रहे हैं और अब एक दूसरे से घुलने-मिलने लगे हैं, इसलिए दो कमरों से एक ही कमरे में रहने जा रहे हैं. यही लिव इन है. तो यह ऑर्गेनिक था. इसमें लज्जाजनक या चौंका देने वाली कोई बात ही नहीं थी. मैं इसी तरह की कोई नई और बेपरवाह किस्म की चीज दिखाना चाहता था. यह बेहद ऑर्गेनिक था और मुझे लगता है कि इसी चीज ने हमें कामयाबी दी. हमने बहुत ज्यादा कोशिश नहीं की थी और इसे दर्शकों के मुंह में जबरन ठूंसा भी नहीं गया था. यही वजह है कि बिना शादी किए ही एक साथ रहने वाले भारतीयों को लेकर इस फिल्म ने हमारे समाज में एक बेहद अहम चर्चा छेड़ दी थी.”

सलाम नमस्ते के सहारे सिद्धार्थ ने वाईआरएफ के साथ अपनी बेहद कामयाब रचनात्मक सहभागिता के 19 साल भी पूरे कर लिए हैं, वह कहते हैं, “सलाम नमस्ते के साथ एक डायरेक्टर के रूप में मेरी यात्रा के 15 साल मुकम्मल हो गए. वाईआरएफ के साथ मेरा सफर इससे थोड़ा लंबा रहा है. मैंने वाईआरएफ के साथ 2001 में काम करना शुरू किया था. लोग कहते हैं कि यह एक फेमिली जैसा है, घर का बैनर है, हर किसी के मुंह से आप यही सुनेंगे, लेकिन इसमें पूरी सच्चाई भी है.”

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वह बताते हैं, “मुझे लगता है कि आखिरकार ‘वार' फिल्म के सहारे मैं अपनी ऑडियंस के साथ कदर जुड़ चुका हूं, कि अब वे मुझसे कुछ ऐसी अपेक्षा रखते हैं जो सीमाओं को परे धकेल दे. ‘वार' के साथ हमने वाकई एक्शन फिल्म का एक ऐसा स्पेक्टेकल तैयार किया, जिसका वादा हमने इसके लॉन्च के वक्त किया था. यह एक बहुत बड़ा वादा था लेकिन ऑडियंस भी यह बात स्वीकार करेगी कि हमने वह वादा पूरा किया. इसके अलावा जिस तरीके से मैं अपनी रोमांटिक कॉमेडी शूट करता हूं, किसी ने मुझसे कहा कि उनको एक्शन फिल्मों की तरह ही शूट किया गया है. उसने यह बात फिल्म के स्केल और विजुअल अपील के संदर्भ में फिल्म की गतिशीलता को लेकर कही थी और बताया था कि यह सब किसी एक्शन फिल्म की तरह दिखता है. तो रोमांटिक कॉमेडी से एक्शन फिल्म बनाने का ट्रांजीशन एक तरह से मेरे लिए बड़ा स्वाभाविक था. मैं जो विकल्प चुनता हूं, जिस तरह की फिल्में बनाना चाहता हूं, उसके लिए मुझे अपनी क्षमताओं से आगे बढ़ कर काम करना होगा.“