हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने सुपरस्टारडम सबसे पहले राजेश खन्ना के साथ एक्सपीरियंस किया. उनकी बेजोड़ पॉपुलैरिटी और बड़े पैमाने पर फैन्स ने उन्हें भारत के पहले सुपरस्टार का खिताब दिलाया. खन्ना 1970 से 1987 तक सबसे ज्यादा फीस चार्ज करने वाले एक्टर बन गए. अपने करियर में अचानक आई मंदी का सामना करने से पहले उन्होंने लगातार 15 हिट फिल्में देकर एक रिकॉर्ड बनाया था. अपने बेस्ट दौर में होने के बावजूद राजेश खन्ना ने 1971 की फिल्म आनंद के लिए एक भी पैसा नहीं लिया. यह बात उस वक्त उनके करीबी लोगों के लिए काफी हैरान करने वाली थी लेकिन यह फैसला उनके लिए काफी फायदेमंद भी रहा था.
ईटाइम्स के साथ बातचीत में हिस्टोरियन दिलीप ठाकुर ने खुलासा किया कि राजेश खन्ना ने आनंद के लिए डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स हासिल किए और आखिर में फिल्म की सक्सेस के चलते अपनी फीस से दस गुना ज्यादा कमाया. ठाकुर ने बताया, "खन्ना ने आनंद के लिए कोई फील नहीं ली. इसकी जगह उन्होंने अपनी फर्म शक्तिराज फिल्म्स के तहत डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स लिए." उन्होंने बताया कि "राजेश खन्ना ने डिस्ट्रिब्यूशन के जरिए अपनी फीस से दस गुना ज्यादा कमाई की".
राजेश खन्ना को कास्ट करने से पहले आनंद के डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस रोल के लिए किशोर कुमार और धर्मेंद्र पर विचार किया था. फिल्म मेकर ने चेन्नई से मुंबई की उड़ान के दौरान धर्मेंद्र को कहानी भी सुनाई. हालांकि बाद में मुखर्जी ने खन्ना को कास्ट करने का मन बनाया और दोनों एक्टर्स को हटाने का फैसला किया. इससे परेशान धर्मेंद्र ने मुखर्जी से कहा भी था कि उन्हें फिल्म की कहानी सुनाई गई लेकिन खन्ना को रोल दे दिया गया.
दिलीप ठाकुर ने आगे बताया कि उस दौर के सुपरस्टार के तौर पर राजेश खन्ना का शेड्यूल लगातार फिल्मों से भरा हुआ था. फिर भी मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि खन्ना उन्हें डेट्स दें इस पर राजेश खन्ना राजी हो गए. नतीजतन आनंद की शूटिंग सिर्फ 28 दिनों में पूरी हो गई. ऋषिकेश मुखर्जी ने राजेश खन्ना को चार फिल्मों में डायरेक्ट किया, आनंद (1971), बावर्ची (1972), नमक हराम (1973), और नौकरी (1978). नौकरी को छोड़कर तीनों फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर बड़ी हिट रहीं.
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