
बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपने करियर के सुनहरे दिनों में जुहू का मशहूर बंगला 'आशीर्वाद' खरीदा था. ये वही घर था जो उनकी कामयाबी की पहचान बना. लेकिन वक्त के साथ यही बंगला उनके जीवन का सबसे बड़ा विवाद बन गया. परिवार में मतभेद और कानूनी उलझनों के कारण इस घर की मालिकाना हक को लेकर लंबे समय तक सवाल उठते रहे. राजेश खन्ना की निजी जिंदगी में डिंपल कपाड़िया से अलगाव के बाद ये बंगला उनके अकेलेपन का ठिकाना बन गया. कहा जाता है कि उनके अंतिम सालों में ‘आशीर्वाद' को लेकर परिजनों और करीबी लोगों के बीच मतभेद गहराने लगे. उनकी मौत के बाद ये मामला और जटिल हो गया. कौन असली वारिस है और किसे अधिकार मिलना चाहिए, इस पर काफी चर्चा रही.
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अनीता आडवाणी का दावा
अनीता आडवाणी, जो खुद को राजेश खन्ना की लिव-इन पार्टनर बताती थीं, ने उनके निधन के बाद दावा किया कि उन्हें 'आशीर्वाद' बंगले में रहने का हक है. उन्होंने परिवार पर घर से निकालने का आरोप लगाते हुए संपत्ति में हिस्सेदारी मांगी, लेकिन अदालत ने उनका दावा खारिज कर दिया.
'आशीर्वाद' बना शोहरत से विवाद तक का कारण
‘आशीर्वाद' कभी फैंस के लिए किसी मंदिर से कम नहीं था. राजेश खन्ना की हर नई फिल्म की सफलता की झलक इसी घर के बाहर दिखती थी. लेकिन उनके जाने के बाद यह बंगला भावनाओं से ज्यादा कानूनी कागजों में सिमट गया. फिल्म इंडस्ट्री में इसे उन कहानियों में गिना जाता है जहां शोहरत के पीछे रिश्तों और संपत्ति की लड़ाई ने जगह ले ली.
एक याद बन गया
राजेश खन्ना का ये बंगला अब किसी और के नाम हो चुका है. मगर 'आशीर्वाद' आज भी उस सुनहरे दौर की गवाही देता है जब बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार अपने स्टारडम के चरम पर था. ये सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि उस चमकदार सफर की याद है जो अंत में विवादों की धुंध में खो गया.
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