
बॉलीवुड में एक समय ऐसा था जब एक्टर्स दो कैटेगरी में बंटे होते थे - नायक और खलनायक. नायकों में टॉप पर पहुंचने की होड़ लगी रहती थी, लेकिन कुछ खलनायक हीरो पर भारी पड़ जाते थे. ऐसे ही एक एक्टर थे जिन्होंने अपनी दमदार अदाकारी से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई. इस एक्टर ने विलेन बनकर सबको इंप्रेस कर दिया था. हर कोई इनका फैन हो गया था. जिस एक्टर की हम बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं प्राण हैं.
2 दशकों तक इंडस्ट्री पर किया राज
प्राण ने 1950 के दशक में अपने करियर की शुरुआत की और करीब 2 दशक तक राज किया. रेडिफ की रिपोर्ट के मुताबिक, जब प्राण बंटवारे के वक्त मुंबई आए और खूब संघर्ष किया. भारत-पाक विभाजन के दौरान वे भारत आये और 1940 में लाहौर में अपनी पहली फिल्म 'यमला जट' में काम किया. इसके बाद वे इंदौर और फिर बंबई चले गये.
6 महीने तक रहे थे खाली
प्राण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 20 से ज़्यादा फिल्मों में काम करने के बाद मुझे लगा कि इंडस्ट्री मेरा स्वागत करेगी, लेकिन मैं गलत था, यहां मुझे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. मैं 6 महीने से ज़्यादा समय तक बेरोजगार रहा. घर का खर्च चलाने के लिए मुझे अपनी पत्नी के कुछ गहने भी बेचने पड़े.
प्राण ने कहा था- जब 1947 में लाहौर में दंगे शुरू हुए, तो मैंने अपनी पत्नी को हमारे एक साल के बच्चे के साथ इंदौर भेज दिया. मेरे बेटे का पहला जन्मदिन 11 अगस्त 1947 को था और मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि मैं इंदौर आ जाऊं, नहीं तो वो जन्मदिन नहीं मनाएगी. मैं 10 अगस्त को इंदौर पहुंचा और ऑल इंडिया रेडियो पर घोषणा की गई कि लाहौर में सांप्रदायिक नरसंहार शुरू हो गया है. मैं वापस नहीं जा सका, इसलिए हम बॉम्बे आ गए. आजादी की पूर्व संध्या पर, मैं अपने परिवार के साथ 14 अगस्त 1947 को बॉम्बे पहुंचा.
मुंबई में उनकी पहली फिल्म जिद्दी थी जो 1948 में रिलीज हुई और वे पुतली, गृहस्थी, शीश महल जैसी फिल्मों में नजर आए. प्राण कहते थे- मेरी ज्यादातर फिल्में हिट हो रही थीं, इसलिए मेरी मांग बढ़ती जा रही थी. प्राण अब इस दुनिया छोड़कर जा चुके हैं. उन्होंने इंडस्ट्री में विलेन बनकर अलग पहचान बनाई थी. वह एक समय ऐसा था कि हीरो से ज्यादा फीस लेते थे.
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