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This Article is From Jun 02, 2020

महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर बनी पीएफआई की शॉर्ट फिल्म, 40 लाख से भी ज्यादा बार देखा गया Video

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करता है. ऐसे में पीएफआई ने उनके अनुकरणीय साहस को रेखांकित करती एक शॉर्ट(लघु) फिल्म का निर्माण किया है.

महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर बनी पीएफआई की शॉर्ट फिल्म, 40 लाख से भी ज्यादा बार देखा गया Video
पीएफआई (PFI) ने महिला स्वास्थ्यकर्मियों पर बनाई शॉर्ट फिल्म
नई दिल्‍ली:

दुनिया भर में कोविड-19 (Covid 19) महामारी के प्रकोप के बीच सैकड़ों फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स इससे लड़ने में जी-जान से जुटे हुए हैं. ग्रामीण भारत में, इस महामारी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व एक्रिडेटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट्स (आशा) और एक्जिलरी नर्स मिडवाइव्स (एएनएम) या फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के रूप में महिलाओं की सेना कर रही है. पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) जमीनी स्तर पर इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करता है. ऐसे में पीएफआई ने उनके अनुकरणीय साहस को रेखांकित करती एक शॉर्ट(लघु) फिल्म का निर्माण किया है.

कोरोना वॉरियर्स (Coronavirus) पर बनी इस फिल्म में आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं को दिखाया गया है कि वे किस तरह गांवों और छोटे शहरों में अपने दैनिक काम को अंजाम देते हुए वैश्विक महामारी के बीच लोगों (अपने समुदायों) की मदद कर रही हैं. इस शॉर्ट फिल्म को फेसबुक पर MyGov पेज पर रिलीज किया गया और पोस्ट होने के पहले 24 घंटों के भीतर यह 4.75 मिलियन बार देखा जा चुका है. यह फिल्म जमीनी स्तर पर काम करने वाली स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम को उजागर करती है. जिसमें बच्चों को पोलियो वैक्सीन पिलाना, गर्भवती महिलाओं के साथ काम करना और लोगों को सामाजिक दूरी(सोशल डिस्टेंसिंग) और स्वच्छता के बारे में शिक्षित करना शामिल है.

 
एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को बुनियादी स्वास्थ्य देखरेख (बेसिक हेल्थकेयर) में प्रशिक्षित किया जाता है. अपने समुदायों में बच्चों, किशोरों और महिलाओं की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करना और उनको मदद उपलब्ध कराना उनका मुख्य काम है। परिवार नियोजन, टीकाकरण, मातृ स्वास्थ्य, पोषण और बाल स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अपने समुदायों को जागरूक और शिक्षित करना उनके कार्यों की सूची में शामिल है. लॉकडाउन के दौरान, पिछले तीन महीनें का समय फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए बेहद कठिन रहा है. कोविड-19 रोगियों के साथ काम करने की वजह से देश के कुछ हिस्सों में उन्हें भेदभाव और यहां तक कि हिंसा का भी सामना करना पड़ा है.

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) की कार्यकारी निदेशक, पूनम मुत्तरेजा कहती हैं, "ये महिलाएँ योद्धा हैं, जो न सिर्फ अपनी रेगुलर ड्यूटी निभा रहीं हैं बल्कि साथ ही अपने समुदायों में जागरुकता बढ़ाने, घर-घर सर्वेक्षण करने, प्रवासियों की निगरानी करने और इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए उन्हें शिक्षित करने की अतिरिक्त ज़िम्मेदारियाँ भी निभा रही हैं. वे अपना काम जारी रख सकें यह सुनिश्चित करने के लिए हमें उन्हें स्थाई रोजगार, प्रशिक्षण और सामाजिक सुरक्षा जैसे लाभ उपलब्ध कराने चाहिए. उन्हें 'हेल्थ एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन फॉर बिहेवियर चेंज' के टूल्स की जानकारी दी जानी चाहिए. इस फिल्म के जरिए जमीनी स्तर पर उनके बेहद कठिन काम को लोगों के सामने लाने की एक छोटी सी कोशिश है.

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