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This Article is From Mar 15, 2019

Mere Pyare Prime Minister Movie Review: छोटी फिल्म में बड़ा संदेश है 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर'

'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर (Mere Pyare Prime Minister)' खुले में शौच के साथ पैदा होने वाली गंभीर समस्या की ओर इशारा करती है जिसमें महिला सुरक्षा की बात को प्रमुखता से उठाया गया है.

Mere Pyare Prime Minister Movie Review: छोटी फिल्म में बड़ा संदेश है 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर'
खुले में शौच की समस्या पर बनी है फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर'
नई दिल्ली:

बॉलीवुड इन दिनों सामाजिक सरोकार वाली फिल्मों पर फोकस बनाए हुए और खुले में शौच ऐसा विषय है जिसे लेकर बॉलीवुड काफी एक्टिव नजर भी आ रहा है. अक्षय कुमार 'टॉयलेटः एक प्रेम कथा' जैसी फिल्म इस विषय पर पहले ही बना चुके हैं जबकि 'हल्का' नाम से भी एक फिल्म इसी विषय को लेकर बन चुकी है. ऐसे में 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर (Mere Pyare Prime Minister)' खुले में शौच के साथ पैदा होने वाली गंभीर समस्या की ओर इशारा करती है जिसमें महिला सुरक्षा की बात को प्रमुखता से उठाया गया है. 'रंग दे बसंती' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी शानदार फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा (Rakeysh Omprakash Mehra) ने इस बार इस टॉपिक को उठाया है. फिल्म अपनी बात को काफी प्रभावी ढंग से कहती है.

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'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर (Mere Pyare Prime Minister)' की कहानी मुंबई के स्लम में रहने वाली सरगम और कन्नू की है. कन्नू अपनी मां सरगम के साथ अपनी जिंदगी में खुश है और मस्ती में जिंदगी जीते हैं. स्लम में कोई टॉयलेट न होने की वजह से यहां के लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. खास तौर पर दिक्कत महिलाओं के लिए हैं जिन्हें उजाला होने से पहले जाना होता है. एक दिन कन्नू की मां के साथ एक हादसा हो जाता है और उसके बाद कन्नू फैसला कर लेता है कि वे अपनी मां के लिए टॉयलेट बनवाकर ही रहेगा. फिर लोकतंत्र में भरोसा और प्रधानमंत्री तक पहुंच का खेल शुरू हो जाता है. फिल्म की कहानी सरपट दौड़ती है और एक बच्चे का अपनी मां के लिए अथाह प्यार के साथ ही यह भी दिखाती है कि फिल्म के पात्र हर हालात में जिंदगी को जीना जानते हैं.

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'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर (Mere Pyare Prime Minister)' में अंजलि पाटिल ने हमेशा की तरह सधा हुआ रोल किया है और कन्नू की मां के किरदार में खूब जमी हैं. कन्नू के रोल में ओम कनौजिया ने भी अच्छा काम किया है. कन्नू के दोस्त निराला और रिंगटोन भी मजेदार हैं और दिल को छूते हैं. जहां बच्चे फिल्म को आगे लेकर जाते हैं वहीं फिल्म की सीनियर कास्ट भी बांधकर रखने का काम करती है. राकेश ओमप्रकाश मेहरा सधे हुए डायरेक्शन के साथ फिल्म को फिल्म ही रहने दिया है. फिल्म का संगीत भी ठीक-ठाक है और कुल मिलाकर यह एक बड़ा संदेश लिए हुए छोटी फिल्म है, जो संदेश के साथ मनोरंजन भी करती है. 

रेटिंगः 3/5 स्टार
डायरेक्टरः राकेश ओमप्रकाश मेहरा
कलाकारः अंजलि पाटिल, ओम कनौजिया, मकरंद देशपांडेय और अतुल कुलकर्णी

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