Meena Kumari Google Doodle: मीना कुमारी की 85वीं जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल
नई दिल्ली:
गूगल ने डूडल बनाकर आज बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी (Meena Kumari) को याद किया है. दिवंगत एक्ट्रेस की 85वीं जयंती पर आज गूगल (Google) ने Meena Kumari's 85th Birthday नाम का डूडल (Doodle) बनाया है. डूडल में मीना कुमार साड़ी लुक में नजर आ रही हैं. गूगल के डूडल पर बनी तस्वीर में भी मीना कुमार के चेहरे पर दर्द साफ नजर आता है. 'पाकीजा (Pakeezah)' जैसी फिल्मों से दर्शकों को दीवाना बना देने वाली मीना कुमारी का असली नाम महजबीन बेगम हैं, मीना कुमारी (Meena Kumari) का जन्म 1 अगस्त 1932 को हुआ था. हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर दिखी अब तक की सबसे दमदार अभिनेत्रियों में मीना कुमारी का नाम आता है.
मां-बाप ने मीना कुमारी को छोड़ दिया था अनाथ आश्रम के बाहर, इस वजह से कहलाईं 'ट्रेजेडी क्वीन'
अपने 30 साल के पूरे फिल्मी सफर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्मों को आज क्लासिक की श्रेणी में रखा जाता है. मीना कुमारी (Meena Kumari) को फिल्म इंडस्ट्री में 'ट्रेजेडी क्वीन (Tragedy Queen)' का दर्जा मिला. फिल्मों के साथ-साथ असल जिंदगी में भी मीना कुमारी के साथ कई दुखद हादसे हुए. जाने-माने उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी ने एक बार मुशायरा छोड़ दिया था क्योंकि उन्होंने देखा कि उसमें अभिनेत्री मीरा कुमारी शामिल हो रही हैं. उनका कहना था कि मुशायरे सिर्फ शायरों की जगह हैं.
यह वाकया 1959-60 का है, जब फिराक को एक मुशायरे में आमंत्रित किया गया था. फिराक का असली नाम रघुपति सहाय था. ‘फिराक गोरखपुरी: द पोयट ऑफ पेन एंड एक्सटैसी’ नामक पुस्तक में इस वाकये का जिक्र किया गया है. फिराक की इस जीवनी के लेखक उनके रिश्तेदार अजय मानसिंह हैं.
जब फिराक मुशायरा स्थल पर पहुंचे तो उनका तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया गया और मुशायरे की शुरुआत पूरे जोशो-खरोश के साथ हुई. करीब एक घंटे के बाद वहां ऐलान किया गया कि मौके पर अदाकारा मीना कुमारी पहुंच चुकी हैं. मुशायरे में शामिल लोग शायरों को मंच पर छोड़कर मीना कुमारी की झलक पाने के लिए भागे.
Meena Kumari Google Doodle: कौन थीं मीना कुमारी? जानिए उनकी जिंदगी के बारे में 5 खास बातें
इससे नाराज फिराक ने मौके से जाने का फैसला किया. इस पर आयोजक उन्हें मनाने की कोशिश में जुट गए. मीना कुमारी ने भी शर्मिंदगी महसूस की और फिराक से बार-बार गुजारिश की कि वह रुकें. मीना कुमारी ने उनसे कहा, "जनाब, मैं आपको सुनने के लिए आई हूं." फिराक ने इस पर तुरंत जवाब दिया, "मुशायरा मुजरा बन चुका है. मैं ऐसी महफिल से ताल्लुक नहीं रखता."
इसके एक दिन बार फिराक ने कहा, "मैं मीना कुमारी की वजह से वहां से नहीं हटा था. आयोजकों और दर्शकों के व्यवहार के कारण वहां से हटा, जिन्होंने हमारी बेइज्जती की थी." उनकी दलील थी कि, "मुशायरा शायरी का मंच है. यहां के कलाकार सिर्फ शायर होते हैं और यहां की व्यवस्था में एक पदानुक्रम होता है जिसका पालन किया जाना चाहिए."
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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अपने 30 साल के पूरे फिल्मी सफर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्मों को आज क्लासिक की श्रेणी में रखा जाता है. मीना कुमारी (Meena Kumari) को फिल्म इंडस्ट्री में 'ट्रेजेडी क्वीन (Tragedy Queen)' का दर्जा मिला. फिल्मों के साथ-साथ असल जिंदगी में भी मीना कुमारी के साथ कई दुखद हादसे हुए. जाने-माने उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी ने एक बार मुशायरा छोड़ दिया था क्योंकि उन्होंने देखा कि उसमें अभिनेत्री मीरा कुमारी शामिल हो रही हैं. उनका कहना था कि मुशायरे सिर्फ शायरों की जगह हैं.
यह वाकया 1959-60 का है, जब फिराक को एक मुशायरे में आमंत्रित किया गया था. फिराक का असली नाम रघुपति सहाय था. ‘फिराक गोरखपुरी: द पोयट ऑफ पेन एंड एक्सटैसी’ नामक पुस्तक में इस वाकये का जिक्र किया गया है. फिराक की इस जीवनी के लेखक उनके रिश्तेदार अजय मानसिंह हैं.
hum tere pyar mein saara aalam,
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) July 31, 2018
kho baithe hain , kho baithe ,
tum kehte ho ke aise pyar ko ,
bhool jaao , bhool jaao ..
by Lata Mangeshkar, Hasrat Jaipuri & Shankar-Jaikishan.
(1963) Meena Kumari and Raaj Kumar in ‘Dil Ek Mandir’. pic.twitter.com/pFa3t6PiOU
जब फिराक मुशायरा स्थल पर पहुंचे तो उनका तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया गया और मुशायरे की शुरुआत पूरे जोशो-खरोश के साथ हुई. करीब एक घंटे के बाद वहां ऐलान किया गया कि मौके पर अदाकारा मीना कुमारी पहुंच चुकी हैं. मुशायरे में शामिल लोग शायरों को मंच पर छोड़कर मीना कुमारी की झलक पाने के लिए भागे.
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इससे नाराज फिराक ने मौके से जाने का फैसला किया. इस पर आयोजक उन्हें मनाने की कोशिश में जुट गए. मीना कुमारी ने भी शर्मिंदगी महसूस की और फिराक से बार-बार गुजारिश की कि वह रुकें. मीना कुमारी ने उनसे कहा, "जनाब, मैं आपको सुनने के लिए आई हूं." फिराक ने इस पर तुरंत जवाब दिया, "मुशायरा मुजरा बन चुका है. मैं ऐसी महफिल से ताल्लुक नहीं रखता."
“with her soulful tear-laden eyes & tremulous voice, she earned the reputation of tragedy doyenne”
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) July 31, 2018
“Actress of highest calibre” said, Satyajit Ray
MEENA KUMARI would’ve turned 80 on 1st August. pic.twitter.com/HpSR9S82JN
इसके एक दिन बार फिराक ने कहा, "मैं मीना कुमारी की वजह से वहां से नहीं हटा था. आयोजकों और दर्शकों के व्यवहार के कारण वहां से हटा, जिन्होंने हमारी बेइज्जती की थी." उनकी दलील थी कि, "मुशायरा शायरी का मंच है. यहां के कलाकार सिर्फ शायर होते हैं और यहां की व्यवस्था में एक पदानुक्रम होता है जिसका पालन किया जाना चाहिए."
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