अगर आप हॉलीवुड फिल्में देखने के शौकीन हैं तो यकीनन आपने क्रिस्टोफर नोलन का नाम जरूर सुना होगा. ये हॉलीवुड के लीजेंडरी डायरेक्टर्स से एक हैं. उनकी फिल्म ओपन हाइमर का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. फिल्म को लेकर फैंस में खासा एक्साइटमेंट है और कई बार से लेकर अपडेट्स भी सामने आ चुके हैं. ओपन हाइमर दुनिया भर के सिनेमाघरों में 21 जुलाई को रिलीज होने जा रही है. फिल्म के रिलीज से पहले ही एडवांस टिकट बुकिंग शुरू हो गई है, जिसके आंकड़ें फैंस को बेकरार करने वाले हैं, क्योंकि 2000 रुपए से भी ज्यादा की महंगी होने के बावजूद 90 हजार फिल्म की टिकट बिक चुकी हैं.
कौन थे फॉदर ऑफ़ एटम बम
आपको बता दें कि ये फिल्म अमेरिका के फेमस साइंटिस्ट जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की लाइफ और उनके परमाणु बम का आविष्कार बेस्ड है. उन्हें फॉदर ऑफ एटम बम के नाम से भी जाना जाता है. तो आखिर कौन थे ओपन हाइमर और उनकी लाइफ में ऐसी क्या खास बात थी जिसे सुनाया जाना जरूरी है आपको बताते हैं.
कौन थे जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर
अमेरिका के थ्योरेटिकल फिजिक्स के स्कॉलर थे रॉबर्ट ओपेनहाइमर. सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान न्यू मैक्सिको में लॉस अलामोस लैबोरेट्री के डायरेक्टर के तौर पर ओपन हाइमर 'मैनहटट्न प्रोजेक्ट' को लीड किया था. नाजी जर्मनी से पहले परमाणु बम बनाना ही इस प्रोजेक्ट का मकसद था.
भगवत गीता का जाना सार
न्यूयॉर्क में साल 1904 में जन्मे ओपेनहाइमर अपने यहूदी माता पिता की संतान थे. बचपन से ही उन्हें पढ़ाई और नई चीजों को जानने और समझने की क्यूरियोसिटी थी. महज़ 9 साल की उम्र में वो लैटिन और ग्रीक चिंतन साहित्य पढ़ा करते थे. उनकी यही दिलचस्पी उन्हें भगवत गीता तक लेकर गई जिसे समझने के लिए उन्होंने संस्कृत भाषा का ज्ञान हासिल किया.
जापान के इन दो शहरों में मची थी तबाही
16 जुलाई 1945 को परमाणु युग की शुरुआत हुई थी. इस दिन लॉस अलामोस से लगभग 340 किलोमीटर दक्षिण में पहले परमाणु बम का परीक्षण किया गया था. जिसे ट्रिनिटी टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है. इस परमाणु बम परीक्षण के 1 महीने से भी कम समय के बाद अमेरिका ने जापान के दो शहरों नागासाकी और हिरोशिमा पर 6 अगस्त 9 अगस्त को दो परमाणु बम गिराए थे. इस तबाही में 2 लाख से ज्यादा लोग लोगों की मौत हुई थी. परमाणु बम का असर आज भी इन शहरों पर नजर आता है. इसी बमबारी के बाद सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म हुआ था.
इस घटना से परेशान हो गए थे ओपेनहाइमर
पूरी दुनिया में इस घटना के बाद परमाणु हथियारों की जैसे होड़ शुरू कर दी थी. यह वो वक्त था जब अपने ही बनाए गए परमाणु बम की क्षमता देखने के बाद खुद ओपेनहाइमर परेशान हो गए थे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर परमाणु हथियारों की रेस के खिलाफ सबसे बुलंद आवाज बन गए थे.
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