प्रसिद्ध पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता, आकाशादित्य लामा ने अपने करियर की शुरुआत फिल्मों और टेलीविजन के क्षेत्र में शुरू किया और उस वक़्त से वह लगातार इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं. न सिर्फ फिल्म और टेलीविजन की दुनिया में, बल्कि विज्ञापन फिल्मों में भी उन्होंने अपना योगदान दिया है और अपनी पहचान बनायी है. उनकी जिंदगी के लिए एक खास मोड़ तब आया, जब उन्हें 'गदर: एक प्रेम कथा' जैसी प्रमुख फीचर फिल्म से जुड़ने का मौका मिला. उन्होंने एक ही क्षेत्र में नहीं, बल्कि कई क्षेत्र में अपने पैर जमाये. लामा ने न सिर्फ एक फिल्म निर्देशक, बल्कि पटकथा लेखक, संवाद लेखक, थिएटर कलाकार और नाटककार के रूप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए कई उपलब्धियां हासिल की हैं.
उल्लेखनीय है कि उनके निर्देशन की पहली फिल्म 'सिगरेट की तरह' में प्रशांत नारायणन, मधुरिमा तुली और युविका चौधरी ने अभिनय किया, और इसी फिल्म से उन्होंने निर्देशन की शुरुआत की. अपनी रचनात्मकता को नये पंख देते हुए उन्होंने 'नानी तेरी मोरनी' के साथ कई और विभिन्न क्षेत्रों में कदम रखा, और उनकी मेहनत और शिद्दत का ही यह नतीजा था कि उन्हें अपने इस काम के लिए राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार से नवाजा हुआ. खास बात रही कि यह वर्ष 2015 के सबसे कम उम्र के विजेता मोनबेनी एज़ुंग से प्रेरित पहली आधिकारिक नागामी भाषा की फिल्म थी. इस मार्मिक रचना ने वैश्विक पहचान हासिल की और यही नहीं उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में प्रदर्शित किया गया. साथ ही साथ भारतीय पैनोरमा, आईएफएफआई 2018, गोवा सहित त्योहारों को 2022 में यूनिसेफ द्वारा प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था.
बता दें कि अमीषा पटेल, राजेश शर्मा, जतिन खुराना और नीरज सूद और एंजेला क्रिन्ज़लिस्की जैसे शानदार कलाकारों के साथ 'तौबा तेरा जलवा' यह दर्शाती है कि लामा व्यवसायिक सिनेमा पर आधारित फिल्मों के लिए किस तरह से प्रतिबद्ध हैं. और वर्तमान में वह ‘मिलन होगा कान जाने...' के पोस्ट-प्रोडक्शन में व्यस्त हैं, जो उनके समीक्षकों द्वारा प्रशंसित नाटक ‘शबरी का मोहन' से प्रेरित एक पीरियड फिल्म है. जाहिर है कि एक बार फिर से लामा सिनेमाई कहानी को अलग रूप से परिभाषित करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं.
गौरतलब है कि लामा का योगदान सिल्वर स्क्रीन से भी विविधताओं के साथ है और खास बात यह भी है कि उनके कामों की प्रशंसा समीक्षकों ने भी किया है, उन्हें सराहा जाता रहा है. बता दें कि उनके द्वारा नाट्य प्रस्तुतियों में अपने असाधारण कौशल का परिचय दिया है. और साथ ही साथ उन्होंने 'कुसुम,' 'कुमकुम,' ज़ारा, 'झिलमिल सितारों का आंगन होगा,' 'आक्रोश,' 'कभी आए ना जुदाई,' जैसे कई लोकप्रिय टेलीविजन शोज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ' 'प्यार के दो नाम नाम एक राधा एक श्याम,' पिया का आंगन, जो कहूंगा सच कहूंगा, 'सेलेना ब्लू जीन,' 'अकुला मिकी,' और सिर्फ भारतीय नहीं, बल्कि इंडोनेशियाई टेलीविजन के लिए भी कई लोकप्रिय टीवी शो भी उनके उल्लेखनीय कामों की श्रेणी में शामिल हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया हिंदी नाटक 'मोहनजोदड़ो' का लेखन और निर्माण भी लामा ने किया था, जो एक कालजयी रचना बन चुकी है. दिलचस्प बात यह है कि आने वाले सालों में लामा और भी शानदार शोज का हिस्सा बनेंगे, क्योंकि उन्होंने भारतीय और इंडोनेशियाई टेलीविजन दोनों के लिए मन मोहने वाली शानदार और बेहतरीन कहानियां तैयार की हैं.
बता दें कि अपने रचनात्मक प्रयासों के अलावा, आकाशादित्य लामा ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), मंत्रालय के तहत वित्तीय अनुदान समिति सहित भारत सरकार के विभिन्न प्रतिष्ठित सांस्कृतिक और फिल्म निकायों में एक प्रतिष्ठित सदस्य के रूप में और जूरी के रूप में कार्य किया है. साथ ही साथ उन्होंने संस्कृति, और 2018, 2019 और 2021 में IFFI गोवा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आने वाले सालों में वह और भी बेहतरीन उम्दा प्रदर्शन करते नजर आएंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं