आप अक्सर कुछ फिल्मों के बारे में ऐसा सुनते होंगे कि सरकार ने उन्हें टैक्स फ्री कर दिया है. किसी प्रदेश में फिल्म के टैक्स फ्री होने के बाद ये भी सुनने में आता है कि उस फिल्म को देखने के लिए बड़ी तादाद की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. उस समय एक सवाल का जवाब जरूर जानने का मन करता है कि आखिर फिल्मों को टैक्स फ्री कब किया जाता है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होता है. आपको बताते हैं वो पूरी प्रक्रिया जिसके तहत फिल्म को टैक्स फ्री किया जाता है और उसका असर फैंस पर क्या पड़ता है.
कब होती है फिल्म टैक्स फ्री?
किसी भी फिल्म को टैक्स फ्री करने का कोई एक निश्चित पैमाना नहीं है. प्रदेश के थियेटर्स में लगी कौन सी फिल्म को टैक्स फ्री घोषित करना है ये फैसला उस प्रदेश की सरकार ही लेती है. हालांकि टैक्स फ्री करने के लिए मसाला फिल्मों का चुनाव कभी नहीं हुआ है. इसके बदले ऐसी फिल्म जो किसी प्रेरक प्रसंग पर आधारित हो. समाज के लिए कोई अच्छा संदेश देती हो या कोई पॉजिटिव मैसेज पहुंचाती हो, उसे टैक्स फ्री करने के लिए चुना जाता है.
क्या होता है फायदा?
फिल्म को टैक्स फ्री करने का फायदा सबसे ज्यादा आम जनता को होता है. दरअसल फिल्म की रिलीज पर भी सरकार कुछ टैक्स लगाती है, जिसमें मनोरंजन कर भी शामिल होता है. ये टैक्स महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बहुत ज्यादा होता है. जब सरकार किसी फिल्म को टैक्स फ्री करने का फैसला लेती है तब उस पर से मनोरंजन कर हटा दिया जाता है. ये टैक्स जितना कम होता है, टिकट भी उतनी ही सस्ती दरों पर उपलब्ध होता है और आम लोगों की जेब पर पड़ रहा वजन कम होता है. हाल ही में द केरल स्टोरीज को टैक्स फ्री किया गया था. इससे पहले दंगल और नीरजा जैसी फिल्म कई प्रदेशों में टैक्स फ्री घोषित की गई. सनी देओल की गदर एक प्रेम कथा, छपाक, तारे जमीं पर, मर्दानी, मैरी कॉम जैसी फिल्में भी कई जगह टैक्स फ्री ही दिखाई गई हैं.
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