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This Article is From Sep 05, 2020

JL50 Review: 35 साल पहले गायब प्लेन 2019 में हुआ क्रैश, अभय देओल ने सुलझाया 'टाइम ट्रेवलिंग' का रहस्य

JL 50 Review: अभय देओल (Abhay Deol) और पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) स्टारर 'JL50' का रिव्यू.

JL50 Review: 35 साल पहले गायब प्लेन 2019 में हुआ क्रैश, अभय देओल ने सुलझाया 'टाइम ट्रेवलिंग' का रहस्य
JL50 Review: अभय देओल (Abhay Deol) और पंकज कपूर स्टारर सीरीज का रिव्यू
नई दिल्ली:

JL 50 Review: 'टाइम ट्रेवलिंग' इस शब्द का ख्याल जैसे ही दिमाग में आता है, तो हम यह सोचने पर मजूबर हो जाते हैं कि क्या ऐसा असल में हो सकता है. क्या हम अपने पास्ट में जाकर हमसे हुईं गलतियों को सुधार सकते हैं? निर्देशक शैलेंदर व्यास की वेब सीरीज 'JL50' में आपको इन्हीं सब सवालों से जुड़े जवाब मिलेंगे. अभय देओल (Abhay Deol) और पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) स्टारर 'JL50' शुरू होती है एक विमान हादसे से. यह विमान 35 साल पहले यानी 1984 में कलकत्ता हवाईअड्डे से उड़ा, हालांकि वह आसमान में कहीं गायब हो गया. जिसके बाद 35 साल बाद यानी 2019 में यह विमान एक पहाड़ी पर क्रैश हुआ मिलता है. 


इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. अभय देओल (Abhay Deol) 'जेएल 50 (JL 50)' में एक सीबीआई ऑफिर 'शांतनु' का किरदार निभा रहे हैं, जो अनाथ है, और वह अपने परिवार को ढूंढ़ने की हर कोशिश करता है. अब सवाल ये है कि आखिर 35 साल पहले गायब हुआ विमान अचानक से कहां से प्रकट हो गया और इस दुर्घटना में बचे दो लोगों की ना तो उम्र बढ़ी और ना ही उन्हें पता कि वह इन 35 सालों में कहां थे. वैसे यहां कहानी अचानक गायब हुए एक अन्य पैंसेजर प्लेन एओ26 की तलाश से शुरू होती है. एओ26 को नक्सलियों ने हाईजैक कर लिया है, जिसमें कई नामी नेता मौजूद हैं. 

सीबीआई ऑफिसर शांतनु (अभय देओल Abhay Deol) को जांच का काम सौंपा जाता है कि आखिर पश्चिम बंगाल के घने जंगल-पहाड़ों वाली जिस जगह एक विमान के क्रैश होने की खबर आई है, वह क्या है क्योंकि वह तो एओ26 का रूट नहीं था. वहां रेस्क्यू ऑपरेशन अधिकारियों से मिलने पर शांतनु को पता चलता है कि जिस विमान का मलबा मिला है, वह एओ26 नहीं बल्कि जेएल50 है. चीजें उलझने लगती हैं. शांतनु को रहस्य सुलझाना है कि आखिर यह मामला क्या है. 

जेएल 50 विमान हादसे में बचे सरवाइवर से जब शांतनु बात करता है, तो उन्हें पता चलता है कि यह विमान 35 साल पहले उड़ा था. चीजें उलझने लगती हैं, शांतनु इस बात की तरफ अपना जोर देने लगते हैं कि यह नक्सिलयों कि साजिश है, उन्हें गुमराह करने के लिए. हालांकि, जब अभय देओल क्वांटम फिजिक्स के प्रोफेशर पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) से मिलते हैं, तो उनकी बातें सुनकर वह बिल्कुल हैरान रह जाते हैं. धीरे-धीरे कहानी एक ट्रेक पर चलने लगती है, जिसमें 'टाइम ट्रेवलिंग' की बातें सामने आने लगती हैं. सीरीज में एक समय ऐसा भी होता है जब 262 ईसा पूर्व पीछे चले जाते हैं, जब सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध लड़ने के बाद भविष्य में किसी का खून न बहाने की कसम खा ली और अपने समय के सर्वश्रेष्ठ ज्ञान को नौ किताबों की जिल्दों में बांध कर दुनिया से छुपा दिया. इसी में एक किताब अंग्रेजों के हाथ लग गई और उन्होंने उस पर रिसर्च कराना शुरू कर दी, जो देश की आजादी के बाद बेकार जानकर बंद करा दी गई, यह रिसर्च 'टाइम ट्रेवलिंग' पर थी. 


रोमांच और रहस्य से शुरू हुई सीरीज धीरे-धीरे यह सब खोने लगती है. यूं तो इतिहास और साइंस को लेकर सीरीज में बेजोड़ कहानी को दिखाने का प्रयास किया गया है, हालांकि, कलाकारों के थके हुए स्वभाव को देखकर सीरीज में थोड़ी बोरियत आनी शुरू हो जाती है. फिल्म में अभय देओल (Abhay Deol) ने अपनी तरह से अपना बेस्ट देने की कोशिश की है. साथ में असर छोड़ जाने लायक किरदार में दिखी हैं रितिका आनंद.

रेटिंग: 3.5/5


 

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