हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता इरफान खान का इंतकाल हो गया. उनके न रहने से बॉलीवुड ने एक शानदार कलाकार खो दिया. राजस्थान के टोंक जिले के रहने वाले इरफान ने बहुत ही संघर्ष करके यह मुकाम हासिल किया था और वह हिंदी फिल्मों में काम करते हुए उन्होंने हॉलीवुड की भी कई फिल्मों में शानदार काम किया था. इरफान बीते दो सालों से कैंसर की बीमारी से जूढ रहे थे और लेकिन इस कलाकार की जीवटता और लगन ही थी कि इसने कैंसर से लड़ते हुए भी अंग्रेजी मीडियम जैसी फिल्म को पूरा किया था. इरफान खान एक ऐसे अभिनेता जो जिस फिल्म होते तो अपने करैक्टर के दम पर जान फूंक देते थे. ऐसे ही उनकी एक फिल्म थी 'हासिल'. इस फिल्म में उनका करैक्टर निगेटिव था लेकिन ऐसी छाप छोड़ी थी कि उस समय हर छात्र खुद को 'रणविजय' से कम नहीं समझता था. इस फिल्म में वह रणविजय नाम के एक छात्र नेता होते हैं और पूरी कहानी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति आधारित है.
इस फिल्म में उनके साथ आशुतोष राणा, जिमी शेरगिल और हर्षिता भट्ट हैं. फिल्म के डॉयलाग ठेठ इलाहाबादी बोली में थे और उन डॉयलाग को इरफान खान ऐसे बोलते हैं जैस वह इसी इलाके में पैदा हुए हों.
हासिल फिल्म मे इरफान खान का डॉयलाग
“किससे मिलना है?”
“सीएम साब से”
“अभी मिलना मुश्किल है कल आना !”
“कल आना? आज आ गए हैं तो आज मिल लेते हैं !
सर ! जयहिन्द !”
“सीएम साब आपसे नहीं मिलना चाहते”
“क्यों? हम कोई गुंडे बदमाश हैं?
पता है भईया पार्टी-वार्टी चल्ल्यी है पर हम भी कोई ऐसे वैसे नहीं हैं ! छात्र नेता हैं, मारे साला सीटी दस हज़ार लौंडा इकठ्ठा हो जायेगा, घेर के बैठ जाएगा ! फ़िर खाओगे मंत्री जी से गाली तुम”
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