International Women's Day 2018: रैंप पर वॉक करतीं एसिड हमले की शिकार महिलाएं
नई दिल्ली:
International Women’s Day 2018 के मौके पर पर गूगल ने डूडल बनाकर महिलाओं के जज्बे को सैल्यूट किया है तो दुनिया भर में कई तरह के आयोजन भी हो रहे हैं. ऐसा ही एक आयोजन मुंबई में भी हुआ. मायानगरी में इस आयोजन में कोई बॉलीवुड सेलेब्रिटी नहीं था बल्कि एसिड अटैक की शिकार महिलाएं थीं. एसिड अटैक की शिकार महिलाओं ने विवियाना मॉल के ExtraordiNAARI (एक्स्ट्राऑर्डिनारी) इवेंट में हुए फैशन शो में अपना जलवा दिखाया. एसिड सरवाइवर्स ऐंड विमेन वेलफेयर फाउंडेशन (ASWWF) एनजीओ की एसिड अटैक की शिकार महिलाओं ने पूरे आत्मविश्वास एवं स्टाइल के साथ रैंप पर न सिर्फ वॉक की बल्कि उनके जुझारूपन ने कार्यक्रम में मौजूद हर किसी का दिल छू लिया. शराबी पति, एकतरफा प्रेमी और सास-ससुर द्वारा एसिड फेंकने की कहानियों ने सभी के दिलों में गहरे तक असर किया.
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दिलचस्प बात यह थी कि उन सभी महिलाओं नेअपनी लड़ाई खुद लड़ी है और दिखाया है कि जिंदगी खूबसूरत है. वे अपनी जिंदगी को ढर्रे पर लाने की कोशिश कर रही हैं जिसके लिए वे कई कोर्स कर रही हैं, नौकरियां पा रही हैं और अपने कॅरियर को चमकाने का इरादा रखती हैं. इस कार्यक्रम का आयोजन एसिड अटैक की शिकार एवं इससे लड़कर बचने वाली महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए किया गया था, जिन्हें अकसर समाज द्वारा नजरंदाज कर दिया जाता है. विवियाना मॉल की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट-मार्केटिंग रीमा प्रधान बताती हैं, "हम हर साल महिलाओं के जीवन को छूने वाले किसी विशिष्ट पहलू के प्रति जागरूकता पैदा करने की कोशिश करते हैं और जागरूकता पैदा करती हैं, ताकि कामयाबी की ओर जा सकने वाले रास्ते बनाये जा सके. इस साल, हम उस साहस और जुझारूपन को देखकर मोहित थे, जिसे हमारे देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ी एसिड की शिकार इन महिलाओं ने दिखाया."
भारत में एसिड अटैक की शिकार कुल पंजीकृत महिलाओं की संख्या 350 से अधिक है. शो स्टॉपर लक्ष्मी अग्रवाल ने भी अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया, "एसिड अटैक की शिकार एवं इससे बच जाने वाली महिला के रूप में, सब कुछ शून्य से शुरू करना एक चुनौती थी और है. जब आपके शरीर का कोई हिस्सा अब भी भीतर से जल रहा हो, तो किसी भी चीज पर ध्यान एकाग्र करना मुश्किल होता है. ये दाग हमारे समाज की संकीर्ण सोच की याद दिलाते हैं, लेकिन उम्मीद है कि एक किरण है जो हमें हर रोज प्रेरित करती रहती है."
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भारत में एसिड अटैक की शिकार कुल पंजीकृत महिलाओं की संख्या 350 से अधिक है. शो स्टॉपर लक्ष्मी अग्रवाल ने भी अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया, "एसिड अटैक की शिकार एवं इससे बच जाने वाली महिला के रूप में, सब कुछ शून्य से शुरू करना एक चुनौती थी और है. जब आपके शरीर का कोई हिस्सा अब भी भीतर से जल रहा हो, तो किसी भी चीज पर ध्यान एकाग्र करना मुश्किल होता है. ये दाग हमारे समाज की संकीर्ण सोच की याद दिलाते हैं, लेकिन उम्मीद है कि एक किरण है जो हमें हर रोज प्रेरित करती रहती है."
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