
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और साहिर लुधियानवी का जन्मदिन दोनों ही आज है
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8 मार्च, 1921 को हुआ था जन्म
अमृता प्रीतम से करते थे प्यार
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार रहे हैं
महिला दिवस का पहली बार आयोजन 28 फरवरी, 1909 को न्यूयॉर्क में हुआ था. लेकिन 1910 में महिला दिवस के लिए 8 मार्च की तारीख तय की गई. यूनाइटेड नेंशंस ने 1975 में इसे मान्यता दी. International Women’s Day 2018 का थीम “टाइम इज नॉउः रूरल एंड अर्बन एक्टिविस्ट्स ट्रांसफॉर्मिंग विमेंस लाइव्ज” है. महिला दिवस के दिन ही साहिर का जन्मदिन भी आता है. पेश हैं उनकी कुछ पंक्तियांः
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'औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाजार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
तुलती है कहीं दीनारों में बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है अय्याशों के दरबारों में'
आइए साहिर लुधियानी के बारे में जानते हैं ये 5 बातेंः
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1. साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हयी साहिर था. साहिर बहुत रईस खानदान से थे. लेकिन मां के पिता से अलग रहने की वजह से उन्हें दिन मुफलिसी में काटने पड़े.
2. साहिर लुधियानवी 1939 में गवर्नमेंट थे और कहा जाता है कि उन्हें अमृता प्रीतम से प्रेम हो गया था. मशहूर लेखिका अमृता उनकी शायरी की कायल थीं. लेकिन अमृता के घरवालों को ये पसंद नहीं आया, और कहा जाता है कि उनके कहने पर साहिर को कॉलेज से निकाल दिया गया था.
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3. कॉलेज से निकाले जाने के बाद उन्होंने जीविका के लिए कई तरह की छोटी-मोटी नौकरियां की, और इस बीच वे शायरी भी करते रहे. साहिर 1943 में लाहौर आ गए थे और यहां उनकी शायरी की पहली किताब 'तल्खियां' प्रकाशित हुई.
4. लाहौर से वे दिल्ली चले आए और कुछ समय यहां गुजारने के बाद वे मुंबई चले गए. 'आजादी की राह पर (1949)' के लिए उन्होंने पहली बार गीत लिखे. लेकिन उन्हें पहचान 'नौजवान' फिल्म के गीतों ने दिलाई.
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5. साहिर ने गुरुदत्त की 'प्यासा' के लिए गीत लिखे और ये गीत खूब हिट रहे. यही नहीं, उनकी कलम का जादू 'साधनी', 'बाजी' और 'फिर सुबह होगी' जैसी फिल्मों में भी देखने को मिली. जिंदगी के अनुभवों को शायरी में उतारने वाले इस शायर का 25 अक्टूबर, 1980 को निधन हो गया.
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