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IC 814 The Kandahar Hijack Review in Hindi: जानें कैसी है नेटफ्लिक्स वेब सीरीज, पढ़ें 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' का रिव्यू

IC 814 The Kandahar Hijack Review in Hindi: नेटफ्लिक्स की लेटेस्ट सीरीज आईसी 814 29 अगस्त को रिलीज हो गई है, जिसका रिव्यू पढ़ें यहां.

IC 814 The Kandahar Hijack Review in Hindi: जानें कैसी है नेटफ्लिक्स वेब सीरीज, पढ़ें 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' का रिव्यू
IC 814 The Kandahar Hijack Review in Hindi: नेटफ्लिक्स की नई सीरीज आईसी 814 का रिव्यू पढ़ें यहां
नई दिल्ली:

IC 814 The Kandahar Hijack Review in Hindi: बात 24 दिसंबर 1999 की है. एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे देश को ही थमने पर मजबूर कर दिया. सबके दिमाग में थी तो बस एक ही बात की आगे क्या होगा? ये घटना थी काठमांडू से दिल्ली आ रही फ्लाइट आईसी 814 हाईजैक की. इसे पहले अमृतसर में रोका गया. फिर पाकिस्तान के लाहौर में और फिर दुबई में. जिसके बाद इसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया. ये हाइजैक सात दिन तक चला था.  इस वेब सीरीज की कहानी कैप्टेन देवी शरण और सृंजॉय चौधरी की किताब फ्लाइट ऑफ फियर: अ कैप्टेन स्टोरी पर आधारित है. ये वेब सीरीज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. इसमें नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, मनोज पाहवा, कुमुद मिश्रा, अरविंद स्वामी, दीया मिर्जा, अमृता पुरी, पत्रलेखा पॉल, दिब्येंदु भट्टाचार्य, राजीव ठाकुर, पूजा गौर और अनुपम त्रिपाठी लीड रोल में हैं. इसका निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है. वेब सीरीज में छह एपिसोड हैं.

आईसी 814: द कंधार हाईजैक वेब सीरीज में ऊपर बताई गई कहानी को ही दिखाया गया है. अनुभव सिन्हा अनुभवी डायरेक्टर हैं. उन्होंने सीरीज के लिए कलाकार भी टॉप क्लास चुने हैं. लेकिन एक्टिंग से लेकर एक्जीक्यूशन तक में कई जगह झोल नजर आते हैं. एडिटर और उनकी पत्रकार के संवाद भी बहुत ही बचकाने से लगते हैं. फिर दीया मिर्जा और अमृता पुरी की जिस तरह की ट्यूनिंग और न्यूजरूम का माहौल दिखाने की कोशिश है. वह भी बहुत बचकानी सी लगती है. फिर अजहर मसूद के डायलॉग भी थोड़े अटकते हैं. प्लेन के अंदर के सीन और जिस तरह का कॉकपिट दिखाया गया है, उसे देखकर आसानी से समझ आ जाता है कि ये सेट है. कुल मिलाकर अनुभव सिन्हा ने काफी मेहनत की. लेकिन इस तरह की वेब सीरीज और कंटेंट में जिस तरह का जोखिम रहता है. वह उससे बच नहीं पाए. 

एक्टिंग की बात करें तो विजय वर्मा ने ठीक-ठाक काम किया है. कुछ नया या हटकर नहीं है. पत्रलेखा एक्टिंग के मामले में थोड़ा ओवर हो जाती हैं, और उनकी डायलॉग डिलीवरी भी एक्सप्रेशनलेस लगती है. फिर नसीरूद्दीन शाह, पंकज कपूर और अरविंद स्वामी जैसे एक्टिंग के दिग्गज हैं. लेकिन यादगार कुछ भी नहीं है. अगर 24 दिसंबर, 1999 की उस घटना के बारे में जानना चाहते हैं और किसी किताब को खंगालने का मन नहीं है तो नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज आईसी 814: द कंधार हाईजैक देखी जा सकती है. वर्ना आपकी मर्जी है.

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