प्राण साहब: 98वां जन्मदिन विशेष
नई दिल्ली:
बॉलीवुड के सबसे खतरनाक और चहेते विलेन प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था. उनका जन्म 12 फरवरी, 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारां में हुआ. उनके पिता सिविल इंजीनियर थे और एक सरकारी ठेकेदार थे. परिवार संपन्न था. पिता को काम की वजह से जगह घूमना पड़ता था तो प्राण की पढ़ाई भी कई जगहों पर हुई. खास यह कि प्राण मैथमेटिक्स में गजब के थे. लेकिन मैट्रिक की पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली में प्रोफेशनल फोटोग्राफी सीखना शुरू कर दिया.
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प्राण से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया यह है कि वे अक्सर शिमला जाते थे और वह भी रामलीला के दिनों में. प्राण वहां की एक रामलीला में सीता का रोल निभाते थे और दिलचस्प यह कि इस रामलीला में मदन पुरी राम का रोल निभाते थे. पेशे से फोटोग्राफर प्राण की मुलाकात एक दिन एक फिल्म प्रोड्यूसर से हुई. बस इस तरह उन्हें अपनी पहली फिल्म 'यमला जट (1940)' मिली. ये पंजाबी फिल्म थी. वह अविभाजित भारत में लाहौर में एक्टिंग करते थे और फिर मुंबई आ गए. उर्दू के जाने-माने लेखक सआदत हसन मंटो और एक्टर श्याम की मदद से उन्हें बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'जिद्दी' में काम मिला, जिसमें देव आनंद हीरो थे.
प्राण को 'जिद्दी' से लोकप्रियता मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर देखने की कभी जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और 'आजाद', 'मधुमती', 'देवदास', 'दिल दिया दर्द लिया', 'राम और श्याम', 'आदमी', 'जिद्दी', 'मुनीम जी', 'अमरदीप', 'जब प्यार किसी से होता है', 'चोरी-चोरी', 'जागते रहो', 'छलिया', 'जिस देश में गंगा बहती है' और 'उपकार' उनकी लोकप्रिय फिल्में रही हैं. प्राण साहब अपनी अदायकी के लिए मशहूर हुए. खासकर उनके बरखुरदार कहने के तरीके को खासा पसंद किया गया. 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्राण का निधन 12 जुलाई, 2013 को लंबी बीमारी के बाद हुआ था.
VIDEO: नहीं रहे प्राण ...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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प्राण से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया यह है कि वे अक्सर शिमला जाते थे और वह भी रामलीला के दिनों में. प्राण वहां की एक रामलीला में सीता का रोल निभाते थे और दिलचस्प यह कि इस रामलीला में मदन पुरी राम का रोल निभाते थे. पेशे से फोटोग्राफर प्राण की मुलाकात एक दिन एक फिल्म प्रोड्यूसर से हुई. बस इस तरह उन्हें अपनी पहली फिल्म 'यमला जट (1940)' मिली. ये पंजाबी फिल्म थी. वह अविभाजित भारत में लाहौर में एक्टिंग करते थे और फिर मुंबई आ गए. उर्दू के जाने-माने लेखक सआदत हसन मंटो और एक्टर श्याम की मदद से उन्हें बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'जिद्दी' में काम मिला, जिसमें देव आनंद हीरो थे.
प्राण को 'जिद्दी' से लोकप्रियता मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर देखने की कभी जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और 'आजाद', 'मधुमती', 'देवदास', 'दिल दिया दर्द लिया', 'राम और श्याम', 'आदमी', 'जिद्दी', 'मुनीम जी', 'अमरदीप', 'जब प्यार किसी से होता है', 'चोरी-चोरी', 'जागते रहो', 'छलिया', 'जिस देश में गंगा बहती है' और 'उपकार' उनकी लोकप्रिय फिल्में रही हैं. प्राण साहब अपनी अदायकी के लिए मशहूर हुए. खासकर उनके बरखुरदार कहने के तरीके को खासा पसंद किया गया. 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्राण का निधन 12 जुलाई, 2013 को लंबी बीमारी के बाद हुआ था.
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