बरुण सोबती (Barun Sobti) और सचिन खेडेकर (Sachin Khedekar) स्टारर फिल्म 'हलाहल (Halahal Film)' रिलीज हो गई है. क्राइम सस्पेंस थ्रियर पर आधारित इस फिल्म में एक्टर बरुण सोबती (Barun Sobti) एक पुलिसवाले के किरदार में नजर आ रहे हैं, तो वहीं, सचिन एक डॉक्टर का किरदार निभा रहे हैं. जिनकी बेटी ने सुसाइड कर लिया है. हालांकि, वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है और वह अपनी बेटी की मौत की तह तक जाने की पूरी कोशिश करते हैं. हाल ही में फिल्म के लीड एक्टर सचिन खेडेकर (Sachin Khedekar Interview) ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने फिल्म में अपने एक्सपीरियंस को लेकर बातें की.
एक्टर सचिन खेडेकर (Sachin Khedekar) से जब पूछा गया कि 'हलाहल (Halahal Film)' में काम करने का उनका एक्सपीरियंस कैसा रहा. इस पर एक्टर ने कहा, "हलाहल मेरे लिए एक बहुत ही रियल और डेशिन फिल्म है. इसमें मैं डॉक्टर शिव की भूमिका कर रहा हूं, जो नॉर्थ इंडिया में एक छोटे से शहर में एक क्लिनिक चलाते हैं. फैमिलीमैन हैं. उनकी दो बेटियां हैं. चाहते हैं, उनकी बड़ी बेटी डॉक्टर हो जाए, उसके लिए नर्सिंग होम बनाकर उसी जगह सेटल करें. बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है, एक साल बचा हुआ है, उसी दौरान उसके साथ एक हादसा हो जाता है. जिससे डॉक्टर शिव की जिंदगी उलट-पलट हो जाती है. वह जानने की कोशिश करते हैं कि हादसा हुआ कैसे? तो ये जो सारा थ्रिल वाला मामला है, एक इमोशनल आदमी का थ्रिलर एलिमेंट में आना, यह हलाहल के बारे में नई बात थी."
सचिन खेडेकर (Sachin Khedekar) से पूछा गया कि फिल्म में आप अपने बेटी के मर्डर मिस्ट्री को सुलझाते नजर आ रहे हैं, तो इस कैरेक्टर से आप इमोशनली कितना अटेच हुए. तो इस सवाल पर एक्टर ने कहा, "मेरी बेटी नहीं है, दो बेटे हैं. लेकिन एक पिता की संवेदना. यह रोल जैसे मुझे फिट होता है वह किसी को फिट नहीं होता. क्योंकि उसी उम्र का यह कैरेक्टर है, जिस उम्र का मैं हूं. डॉक्टर शिव देखने वाली ऑडियंस का एक चेहरा भी हैं, वह बिल्कुल ही आम आदमी हैं. सपने देखने वाले हैं, आइडियलिस्टिक हैं. मैं यह नहीं कहूंगा कि हमने बड़ी ही सहजता से यह कैरेक्टर कर लिया. लेकिन उसका जो ड्रामा एलिमेंट है, उसके साथ जो हादसा होता है, बेटी का अचानक चले जाना और जब व्यवस्था के साथ लड़ने की कोशिश करो, तो व्यवस्था कैसे आपके आड़े आती है. आप जिस अच्छाई की बात कर रहे हैं, जिस सीधेपन से जीने की कोशिश कर रहे हैं, उस तरह से आपको जीने नहीं दिया जाता. इस फिल्म में काम करना मेरे लिए अनुभव था, तो उसी तरह यह फिल्म ऑडियंस को ऐसा ही अनुभव देगी."
वहीं, जब एक्टर से पूछा गया कि इस फिल्म में पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार पर भी रोशनी डाली गई है, तो ऐसे तंत्र में भ्रष्टाचार को लेकर आपकी क्या राय है. तो इस पर सचिन खेडेकर (Sachin Khedekar) ने कहा, "हर वो फिल्ड जो लोगों की सेवा के लिए है, उसमें अच्छे और बुरे हर तरह के लोग होते हैं. लेकिन ये बात है कि सिनेमा में हमेशा बुरे एलिमेंट को ही हाईलाइट किया जाता है. लेकिन हमारे जो कॉप हैं, बरुण ने जो प्ले किया है. उन्होंने उस व्यवस्था में रहते हुए भी एक अच्छे कारण के लिए मदद करने की ठान ली है. तो हर एक आदमी पूरी तरह ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होता. जैसे पूरी तरह बुरे हैं, तो बुरे हैं. लेकिन मुझे लगता है कि अच्छाई बुराई को मात दे ही देती है. "
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं