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'बंदा सिंह चौधरी' का असर: बेबाकी से बोलते दिखे पीड़ित, दर्द और डर को याद कर निकले आंसू

अरशद वारसी और मेहर विज स्टारर फिल्म बंदा सिंह चौधरी हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई. एक ओर जहां फिल्म को क्रिटिक्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो दूसरी ओर दर्शकों ने भी इसकी खूब तारीफ की.

'बंदा सिंह चौधरी' का असर: बेबाकी से बोलते दिखे पीड़ित, दर्द और डर को याद कर निकले आंसू
'बंदा सिंह चौधरी' का असर: बेबाकी से बोलते दिखे पीड़ित,
नई दिल्ली:

अरशद वारसी और मेहर विज स्टारर फिल्म बंदा सिंह चौधरी हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई. एक ओर जहां फिल्म को क्रिटिक्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो दूसरी ओर दर्शकों ने भी इसकी खूब तारीफ की. फिल्म पंजाब में घटी घटनाओं को बेबाकी से दिखाती है, जहां उग्रवादियों ने हिंदुओं को जान से मारा, उन्हें पंजाब छोड़ने पर मजबूर किया. अब ऐसे ही कुछ पीड़ितों का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है. इन पीड़ितों के वीडियोज को देख आपकी भी आंखों में आंसू आ जाएंगे.

पंजाब के फरीदकोट में रह चुकीं कृष्णा देवी उन दिनों का याद करते हुए रो पड़ीं. उनकी आंखों में दर्द छलकता दिखा. कृष्णा देवी कहती हैं, 'मेरे पापा की दुकान थी. अक्सर लोग सामान लेने के लिए आते रहते थे. ऐसे ही एक शाम कुछ लोग आए, पापा की एक बात नहीं सुनी उन्होंने और पापा को गोली मार दी. वहीं मेरी बहन बर्तन धो रही थी, उन लोगों ने उसे भी गोली मार दी. इसके बाद वो घर में घुसे, अंदर मेरी बहन को गोली मार दी. किचन में मेरी मां थी, उन्हें गोली मार दी. मैं घर पर नहीं थी, जब मैं पिंड गई तो देखा कि सभी को ट्रॉली में डालकर ले जा रहे थे. मेरे चाचा फिरोजपुर में रहते थे.सभी मृतकों को वहां लाए और फिर वहीं अंतिम संस्कार हुआ. मुझे आखिरी वक्त तक किसी ने मेरे परिवार के मर चुके लोगों का मुंह नहीं देखने दिया. लेकिन मैंने सभी के सिर से कपड़ा हटा हटाकर मुंह देखा. मैं उस वक्त को याद ही नहीं करना चाहती हूं."

पंजाब के फरीदकोट में रह चुके पीड़ित राम बिलास ने अपने दर्द और खौफ को बयां करते हुए कहा, 'मेरी 2 भांजियां थीं, उन्हें मार दिया. मेरी एक बहन थी, उसे मार दिया. हमारे बहनोई को भी नहीं छोड़ा. बेरहमी से मारा सभी को. हमारे ही परिवार के 6-7 लोगों को मार दिया गया था. उस वक्त इतना खतरनाक माहौल था कि हमें पता ही नहीं था कि हम कल बचेंगे या नहीं. हम 6 बजे के बाद घर से नहीं निकल सकते थे. उग्रवादियों का डर था. देर शाम को 2 लोग घर पर आए, हमारा दरवाजा खटखाया. उनके पास हथियार थे, जिसमें एके 47 भी शामिल है. उन्होंने हमें धमकी दी, गांव वालों को धमकी दी. हमें गांव छोड़ने को कहा. डर का माहौल इतना बढ़ गया था कि 1977 में हमने गांव छोड़ दिया और राजस्थान चले गए. हिंदुओं को भगाया गया. उग्रवादियों ने गांव वालों से पैसे लूटे, सस्ते में घर जमीन छीन लिया."

फिल्म की कहानी के साथ ही डायरेक्शन और एक्टिंग को भी काफी पसंद किया गया. 'बंदा सिंह चौधरी' हकीकत में घटी घटनाओं से प्रेरित फिल्म है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे 1980 के आस पास उन लोगों को पंजाब से निकाला गया जो मूल रूप से पंजाब के नहीं हैं या फिर सिख नहीं हैं. कुछ वारदातों में तो हिंदुओं को मारा भी गया. जहां कई लोगों ने उन कथित आतंकवादियों के सामने घुटने टेक दिए तो दूसरी ओर बंदा ने आवाज के साथ ही हथियार उठाए और हौसले की एक मिसाल बना. 

25 अक्टूबर को रिलीज हुई बंदा सिंह चौधरी के डायरेक्टर अभिषेक सक्सेना हैं. फिल्म में अरशद और मेहर के साथ ही कियारा खन्ना, शताफ फिगर, शिल्पी मारवाह, जीवेशु अहलूवालिया और अलीशा चोपड़ा ने भी दर्शकों से वाहवाही लूटी. ये फिल्म सिनेमाघरों में धूम मचा रही है, अगर आपने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा तो आपको परिवार और बच्चों के साथ देखना चाहिए.

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