गुजश्ता दौर की उम्दा अभिनेत्रियों में से एक थीं नंदा. परिवार की मजबूरियां जिन्हें बहुत कम उम्र में फिल्मी पर्दे तक ले आईं. महज दस साल की उम्र से ही नंदा ने पिता की मौत के बाद अपने परिवार की जिम्मेदारियां संभाली. इस छोटी सी उम्र में ही वो बेबी नंदा के नाम से फिल्म इंड्स्ट्री की फेवरेट बन गईं. इसके बाद बेबी नंदा से हीरोइन नंदा बनी और बरसों फिल्म इंड्स्ट्री पर राज किया. इस दरम्यान नंदा ने कई फिल्मों में काम किया और नाम भी कमाया लेकिन वो हमेशा अपनी इमेज बदलने को लेकर तरसती रहीं. सिर्फ रोमांटिक रोल्स या टाइपकास्ट रोल करने से उन्हें फेम तो मिला लेकिन जिस रोल के जरिए उन्हें खुद को तसल्ली मिले और लोगों की पसंद पर भी खरा उतरे ऐसे रोल के लिए वो ताउम्र इंतजार ही करती रहीं.
52 में सगाई 54 में विधवा
अपनी इमेज बदलने के लिए नंदा ने निगेटिव रोल भी किए लेकिन वो चले नहीं जिसके बाद नंदा ने ये मान लिया कि इमेज बदलकर मनपसंद रोल हासिल करना आसान नहीं है. जिस तरह एक्टिंग में ख्वाहिश अधूरी रही, उसी तरह अपने प्यार को पाने की कसक भी पूरी नहीं हुई. नंदा को मनमोहन देसाई से प्यार था. लेकिन शर्म के मारे वो कभी अपने प्यार का इजहार न कर सकीं और मनमोहन देसाई की शादी हो गई. पत्नी के निधन के बाद मनमोहन देसाई को नंदा की याद आई. 53 साल की नंदा से उन्होंने संगाई की पेशकस की और वो मान गईं. लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन टिकी नहीं. सगाई के दो साल बाद मनमोहन देसाई हादसे का शिकार हो दुनिया छोड़ गए. उसके बाद से ही नंदा हमेशा सफेद कपड़ों में नजर आईं. कहा जाता रहा कि वो खुद को मनमोहन देसाई की विधवा मान कर दिन बिता रही हैं.
शशि कपूर संग की सबसे ज्यादा फिल्में
नंदा ने हमेशा न्यूकमर्स की खूब मदद की. कपूर खानदान के बेटे शशि कपूर ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तब नंदा उन्हें भी खूब सराहा और हौसलाफजाई की. नंदा ने वैसे तो सभी नामी हीरोज के साथ काम किया लेकिन अकेले शशि कपूर के साथ 9 फिल्मों में काम किया जिसमें से जब जब फूल खिले खासी हिट भी रही. शशि कपूर के अलावा राजेश खन्ना का नाम भी द ट्रेन जैसी फिल्म के लिए नंदा ने ही सुझाया था.
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