
बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुजा मुखर्जी 23 सितंबर को अपना जन्मदिन मनाती हैं. फिल्म जगत में उनका नाम किसी इंट्रोडक्शन का मोहताज नहीं है. उन्होंने अपनी जीवंत अभिनय शैली और साहसी व्यक्तित्व से बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी. प्रतिष्ठित मुखर्जी-सामर्थ परिवार से ताल्लुक रखने वाली तनुजा, शोभना सामर्थ और फिल्म निर्माता कुमारसेन सामर्थ की बेटी हैं, साथ ही वह मशहूर अभिनेत्री नूतन की छोटी बहन हैं. छह दशकों से ज्यादा के उनके सिनेमाई सफर में उनकी अदाकारी और कला के प्रति उनका समर्पण पर्दे पर साफ दिखा है.
10 साल की उम्र में की करियर की शुरुआत
तनुजा ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड एक्टर की थी. उनकी पहली फिल्म 1950 में आई हमारी बेटी थी. इसमें उनकी बहन नूतन भी थीं. इस फिल्म के दौरान तनुजा सात साल की थीं. बतौर लीड स्टार उनकी शुरुआत छबीली (1960) से हुई, जिसका निर्देशन उनकी मां ने किया. अपनी स्वाभाविक और सहज अभिनय शैली के लिए जानी जाने वाली तनुजा ने बहारें फिर भी आएंगी (1966) में गुरु दत्त के निर्देशन में शानदार प्रदर्शन किया, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना. ज्वेल थीफ (1967) में उनकी भूमिका ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर नामांकन दिलाया, जबकि पैसा या प्यार (1969) के लिए उन्होंने यह पुरस्कार जीता. धर्मेंद्र, राजेश खन्ना और जीतेंद्र जैसे सितारों के साथ हाथी मेरे साथी (1971) और जीने की राह (1969) जैसी हिट फिल्मों में उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया.
हिंदी के अलावा बंगाली सिनेमा में भी दिखाया दम
हिन्दी सिनेमा के अलावा, तनुजा ने बंगाली फिल्मों में भी अपनी कला दिखाई. उत्तम कुमार और सौमित्र चटर्जी जैसे दिग्गजों के साथ देया नेया (1963) और तीन भुबनर पारे (1969) जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने दर्शकों का दिल जीता. बंगाली में अपनी डायलॉग्स स्वयं बोलने की उनकी क्षमता ने उनके प्रदर्शन को और प्रामाणिक बनाया. इसके अलावा, उन्होंने मराठी और गुजराती सिनेमा में भी काम किया, जहां पितृरून (2013) में उनकी भूमिका ने खूब तारीफें बटोरी.
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