
फिल्मों चमक-दमक भरी दुनिया में हर कोई अपनी जगह बनाना चाहता है, लेकिन ये आसान नहीं है. कितने ही लोग आते हैं और मेहनत के बावजूद नाकाम होकर लौट जाते हैं. वहीं कुछ को मेहनत के संग किस्मत का साथ मिलता है और वह चमक उठते हैं. ऐसे ही एक सितारे हैं डैनी डेन्जोंगपा. डैनी महज 1500 रुपए लेकर मुंबई आए थे और वह गजल सिंगर बनना चाहते थे. लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय किया था.
जया बच्चन ने दिया नाम
जया बच्चन और डैनी डेन्जोंगपा बॉलीवुड में डेब्यू करने से पहले भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) में क्लासमेट थे. डैनी डेन्जोंगपा का असली नाम शेरिंग फिंटसो डेन्जोंगपा है. एक पुराने इंटरव्यू में, डैनी ने कहा था कि FTII में शामिल होने के बाद, जब उनके सीनियर और क्लासमेट उनके नाम के बारे में मज़ाक करते थे, तो जया ने उन्हें सुझाव दिया था कि वे इसे सिंपल रखें. डैनी ने कहा, ‘मेरे क्लासमेट मुझे 'शशश शशश...' पुकारते थे जैसे कि मैं कोई पिल्ला हूं! जया ने सुझाव दिया कि मैं इसे सरल रखूं और मेरा नाम डैनी रखूं."
इन फिल्मों से कमाया नाम
डैनी ने बीआर इशारा की फिल्म ज़रूरत (1972) से अपनी शुरुआत की और गुलजार की मेरे अपने (1971) में उन्हें बड़ा ब्रेक मिला. उन्होंने पहली बार बीआर चोपड़ा की धुंध (1973) में एक खलनायक की भूमिका निभाई. डैनी ने चोर मचाए शोर, 36 घंटे, फकीरा, संग्राम, कालीचरण, काला सोना, देवता, आशिक हूं बहारों का, पापी, बंदिश, द बर्निंग ट्रेन और चुनौति जैसी कई फिल्मों में काम किया.
कांचा चीना, बख्तावर और खुदा बख्श जैसे उनके कुछ किरदार यादगार हैं. इन किरदारों के दम पर वह बॉलीवुड में सबसे खूंखार विलेन के रूप में अपनी पहचान बना पाए.
डैनी को पद्मश्री
डैनी डेन्जोंगपा को साल 2003 में भारत सरकार ने देश के चौथे सबसे ऊंचे नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें ये सम्मान मिला. डैनी ने करीब 200 फिल्मों में काम किया है.
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