
सौम्या सेनगुप्ता (Soumya Sengupta) की बंगाली फिल्म ‘मृत्युपाठोजात्री' ( Mrityupathojatri) (कौन मरने जा रहा है) के लीड रोल में अपने आप को ढालने के लिए एक्टर राहुल अरुणोदय बनर्जी ने शूटिंग शुरू होने से पहले 15 दिन तक घर पर किसी से भी बात करना बंद कर दिया था. यह फिल्म मौत की सजा पाने वाले एक दोषी के जीवन के अंतिम 12 घंटों की कहानी है. बनर्जी ने अपने निर्देशक द्वारा दी गई स्क्रिप्ट को पढ़ा और जेल के कई अधिकारियों से बातचीत की, ताकि ऐसे व्यक्ति की मनोदशा जान पाए जिसे फांसी दी जानी है.
बनर्जी ने ‘पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, ‘‘ज्यादातर मामलों में लोगों को पता नहीं होता है कि वे कब मरेंगे लेकिन इस फिल्म में व्यक्ति जानता है कि 12 घंटे बाद उसकी जिंदगी खत्म हो जाएगी. इसे समझना मुश्किल है.''उन्होंने कहा, ‘‘मैंने शूटिंग शुरू करने से पहले 15 दिनों तक अपने घर में बातचीत करना बंद कर दिया था. मेरी निर्देशक सौम्या ने बहुत अच्छे से शोध किया है. उन्होंने मुझे पढ़ने के लिए काफी सामग्री दी.''
फिल्म निर्देशक ने कहा कि ‘मृत्युपठोजात्री' एक प्रयोगात्मक फिल्म है. यह फिल्म काल्पनिक है, लेकिन उम्रकैद की सजा पाए कुछ असली कैदियों पर कुछ किताबों और वकीलों से बातचीत करने से उन्हें स्क्रिप्ट तैयार करने में मदद मिली. सेनगुप्ता ने कहा, ‘‘मैं दर्शकों को यह दिखाना चाहती हूं कि मृत्युदंड की सजा पाए किसी दोषी के जीवन के आखिरी 12 घंटे कैसे होते हैं. मुझे लगता है कि दर्शकों को यह जानना चाहिए कि उस वक्त कोई व्यक्ति कितना पछताता है, भावनात्मक दौर से गुजरता है और मौत का डर उसे कैसे सताता है.'' ‘मत्युपठोजात्री' थिएटर में रिलीज हो चुकी है.
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