- RLM के तीन विधायक उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री बनाने के फैसले से नाराज हैं और पार्टी में असंतोष है
- रामेश्वर महतो ने उपेंद्र कुशवाहा पर परिवारवाद के आरोप लगाते हुए उनकी नीतियों की आलोचना की है
- नए साल में बिहार सरकार के मंत्री मंडल विस्तार से पहले बागी विधायकों के रवैये पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं
बिहार में एनडीए के सदस्य राष्ट्रीय लोक मोर्चा और उनके प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा अब अपनी ही पार्टी में घिरते हुए दिख रहे हैं. दरअसल, पार्टी के तीन विधायक, जिनमें एमएलए माधव आनंद, रामेश्वर महतो और अनिल कुमार सिंह शामिल हैं, ने उपेंद्र कुशवाहा द्वारा अपने बेटे को मंत्री बनाने के फैसले से खासे नाराज हैं. ये मामला उस वक्त और तूल पकड़ गया जब कुशवाहा ने कहा कि पार्टी को टूटने से बचाने के लिए ही उन्होंने अपने बेटे को मंत्री बनाने का फैसला किया है. आपको बता दें कि इस बार बिहार विधानसभा में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से चार विधायक चुनकर गए हैं.
उपेंद्र कुशवाहा के इस फैसले के खिलाफ अब उनके विधायक रामेश्वर महतो ने भी अपनी चुप्पी तोड़ दी है. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कहा कि वह परिवारवाद के पोषक और शिकार हैं. आपको बता दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब रामेश्वर महतो ने उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ मोर्चा खोला हो.इससे पहले 12 दिसंबर को भी रामेश्वर महतो ने एक ट्वीट कर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी.
क्यों आई यह नौबत
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के 4 विधायक इस बार जीत कर सदन पहुंचे ,जिसने एक उनकी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा भी है. आपको याद होगा कि जब उपेंद्र कुशवाहा ने ख़ुद अपने हाथों से अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने का सिंबल दिया था, तब वह तस्वीर सोशल मीडिया में बहुत वायरल हुईं थी. जिसके बाद से उपेंद्र कुशवाहा पर परिवारवाद के आरोप लगने लगे. यह मामला तब और गरमाया जब कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को सब को चौंकाते हुए नीतीश कुमार के मंत्री मंडल में शामिल करवा दिया. इसके बाद बाकी विधायकों की नाराजगी देखी जा रही थी .
भाजपा के संपर्क में है कुशवाहा के बागी विधायक!
24 दिसंबर को नितिन नबीन भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार जब पटना आए तब इनके तीनों विधायक रामेश्वर महतो,आनंद माधव और आलोक सिंह नितिन नवीन से मिलने और उन्हें बधाई देने उनके आवास पहुंचे ,जिसकी तस्वीर बाहर आने के बाद काफ़ी कयास लगने लगे.
मामल कब और गरमाया
24 दिसंबर की रात को उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी के तरफ़ से लिट्टी चोखा का भोज दिया, जिस भोज में उनके पार्टी के यह तीनों विधायक ग़ायब दिखे. सिर्फ़ उनकी पत्नी और बेटे उपेंद्र कुशवाह के साथ इस भोज में थे .बताया गया की यह सब विधायक दिल्ली में हैं.हालांकि, इस मामले पर उपेंद्र कुशवाहा से मीडिया ने पूछा तो इस खबर को बेकार की बात बताई,कहा की पार्टी में ऐसी टूट की कोई बात नहीं है.
कुशवाहा के तीनों बागी विधायक इस वक्त दिल्ली में है
आज लेकिन इस पूरे मामले पर उनके विधायक रामेश्वर महतो ने चुप्पी तोड़ी है. पार्टी में टूट की खबर को ग़लत बताया है, लेकिन साथ ही उपेंद्र कुशवाहा को परिवारवाद का पोषक बताया है. अपने नेता के फ़ैसले पर साल उठते हुए कहा है कि यह वह नेता है जो परिवार के ख़िलाफ़ रहते थे लेकिन इनके फ़ैसले से लगता है की यह इसके पोशाक हो गए है.
आज इस पूरे विवाद पर विधायक रमेश्वर महतो ने अपनी सफाई दी है.उन्होंने कहा कि उस शाम मुझे दिल्ली आना पड़ा था. मुझे एक निमंत्रण मिला था,इसलिए मैं कार्यक्रम में नहीं जा सका. मुझे यह भी नहीं पता था कि यह इतना बड़ा कार्यक्रम होगा. मुझे लगा था कि यह एक छोटा-सा पारिवारिक आयोजन होगा, जिसमें परिवार के सदस्य और करीबी लोग होंगे. यह एक बात है.
लोग अफवाह फैला रहे हैं कि पार्टी टूटने वाली है और तीन विधायक पार्टी छोड़ देंगे. यह सब पूरी तरह गलत है. हमारा किसी भी दूसरी पार्टी से कोई संपर्क नहीं है. भारतीय जनता पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), एलजेपी और हमारी राष्ट्रीय लोक मोर्चा, हम सभी एक साथ हैं और एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं. हम अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा में हैं और आगे भी रहेंगे.हां, कुछ नाराज़गी जरूर है. हमने अपनी लोकतांत्रिक राय रखी है. हमें लगा कि नेता का लिया गया फैसला पार्टी और कार्यकर्ताओं के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है, इसलिए हमने अपनी बात कही. इसका मतलब यह नहीं है कि हम पार्टी छोड़ रहे हैं या बगावत कर रहे हैं.
नितिन नवीन से अपनी मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि हम 24 तारीख को उनसे (नितिन नवीन) मिलने गए थे. हमने उन्हें बधाई दी. वह बिहार सरकार में मंत्री हैं और मैं बिहार विधानसभा का सदस्य हूं, इसलिए हमारे अच्छे संबंध रहे हैं. यह एक औपचारिक मुलाकात थी. इसे किसी और चीज़ से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
नए साल में होगी कुशवाहा की पार्टी पर नजर
नए साल में बिहार सरकार के मंत्री मंडल का विस्तार होना है , इससे पहले कुशवाहा के बागी विधायक के यह तेवर उनके लिए भारी ना पर जाए. अब सबकी नजरे इनके विधायकों पर है कि जब वह दिल्ली से बिहार लौटेंगे तब उनका रूख क्या होगा.
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