रेलवे की नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मंगलवार को दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के सामने पेश हुए. ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर PMLA के तहत आपराधिक धारा में एक नया केस दर्ज किया है.
इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय तेजस्वी यादव से पूछताछ करेगी. पिछले महीने की 26 तारीख को इसी मामले में सीबीआई ने तेजस्वी यादव से पूछताछ की थी. पूछताछ के बाद उन्होंने कहा था कि हमने सहयोग किया है. लेकिन सच्चाई यह है कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं है.
उन्होंने कहा था कि 26 मार्च को ही इस मामले में ईडी ने मीसा भारती से पूछताछ की थी. इस केस में सीबीआई लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से भी पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा ईडी ने लालू परिवार और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.
क्या हैं जांच एजेंसी के आरोप ?
जांच एजेंसी का आरोप है कि तेजस्वी का जो एनएफसी में घर है, वो भी इसी घोटाले की आय का हिस्सा है. ये घर एबी एक्सपोर्ट नाम की कंपनी के नाम से रजिस्टर्ड है ,ये कंपनी यादव परिवार की है. ये घर महज 4 लाख रुपए में लिया गया जबकि इस घर की मौजूदा मार्केट वैल्यू 150 करोड़ है.
ईडी का आरोप है कि घोटाले का जो पैसा कैश में था उसका इस्तेमाल इस प्रोपर्टी और दूसरी संपत्तियों को बेचने और खरीदने में किया गया. मुंबई के कुछ गहने के कारोबारी भी इस डील में शामिल थे. इसके अलावा एनएफसी के घर से दो कंपनियों एबी एक्सपोर्ट्स और एके इंफोसिस्टम्स के दफ्तर चलाए जा रहे थे.
कथित तौर पर यादव परिवार द्वारा 7.5 लाख रुपये में चार प्लॉट का अधिग्रहण किया गया और राजद के पूर्व विधायक अबू दोजाना को 3.5 करोड़ रुपये में बेच दिया गया. इसके बाद पैसा कथित रूप से तेजस्वी यादव के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया गया.
ईडी ने आगे दावा किया है कि इसकी जांच में यह पाया गया कि अपराध की आय लगभग 600 करोड़ रुपये है, जिसमें से 350 करोड़ रुपये अचल संपत्तियों और 250 करोड़ रुपये के लेनदेन के रूप में है जो कई बेनामीदारों के माध्यम से किया गया था.
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