
Kundali kumdrum yog : कुंडली में चंद्रमा की स्थिति के अनुसार कई योग का निर्माण होता है. कुछ योग चंद्रमा के साथ ग्रहों की युति के कारण बनते हैं, तो कुछ योग तब बनते हैं, जब चंद्रमा के साथ कोई ग्रह न हों. इसी तरह अगर आपकी कुंडली में केमद्रुम योग बन रहा हो, तो इसके प्रभाव से मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. हालांकि, यह योग हमेशा अशुभ प्रभाव नहीं देता. केमद्रुम योग से बचने या इसके दुष्प्रभाव को कम करने के वैसे तो कई उपाय हैं, लेकिन आपको अपने माता पिता का कभी अनादर नहीं करना चाहिए. हालांकि, आम तौर पर इसे अशुभ योग माना जाता है, लेकिन यह योग हमेशा अशुभ प्रभाव नहीं देता, इसके कई शुभ प्रभाव भी होते हैं.
कैसे बनता है केमद्रुम योग
अगर जातक की कुंडली में चंद्रमा से दूसरे और बारहवें स्थान पर कोई ग्रहीय स्थिति न हो, तब केमद्रुम योग बनता है. इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि अगर चंद्रमा पर किसी शुभ ग्रह की सीधी दृष्टि न हो, तब भी यह योग बनता है. केमद्रुम योग का अगर उपाय न किया जाए तो यह काफी खतरनाक हो सकता है. हालांकि, अगर कुंडली में लग्न भाव से केंद्र में चंद्रमा या कोई अन्य ग्रह हो, तो यह योग निष्प्रभावी होता है. इसी तरह कई अन्य स्थितियों में भी केमद्रुम योग भंग होकर शुभ प्रभावदायक बन जाता है.
केमद्रुम योग के शुभ फल
केमद्रुम योग के शुभ प्रभाव में से एक यह है कि जातक दीर्घायु होता है. इतना ही नहीं जातक को अपने कामकाज में सफलता भी मिलती है. कई बार कुछ अन्य योग की उपस्थिति में केमद्रुम योग राजयोग में बदल जाता है. अगर कुंडली के सभी योग और ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखकर विश्लेषण किया जाए, तो वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सकती है.
केमद्रुम योग के अशुभ प्रभाव
केमद्रुम योग के अशुभ प्रभाव की बात करें, तो जातक को अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जातक की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो सकती है. इतना ही नहीं, जातक को नौकरी और और व्यापार में भी समस्या हो सकती है. वैवाहिक जीवन में भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.