भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर (Former Governor of the Reserve Bank of India) रघुराम राजन (Raghuram Rajan) के साथी अर्थशास्त्री रोहित लांबा (Rohit Lamba) के सहयोग से नई किताब, 'ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर' 7 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है. इसके पहले रघुराम राजन ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट कर किताब से जुड़े किस्से और रोहित लांबा से हुई अपनी पहली मुलाकात की यादों को शेयर किया.
2012 में, रोहित लांबा अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे थे, जब उन्होंने अपने ‘गुरु' और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को उनके लिए फ्री में काम करने और देश के लिए योगदान देने के लिए एक लेटर लिखा था. रघुराम राजन उस समय भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे.
रघुराम राजन ने उस घटना को याद करते हुए लिंक्डइन पर लिखा, ‘मैं एक दशक पहले डॉ. रोहित लांबा से मिला था, जब मैं भारत का मुख्य आर्थिक सलाहकार था और उन्होंने मुझे प्रिंसटन के पीएचडी छात्र के रूप में लिखा था, चाहते थे कि मैं फ्री में काम करूं. वित्त मंत्रालय सिर्फ राष्ट्र के लिए योगदान देने के लिए है. तब से, हम संपर्क में रहे और वास्तव में महामारी के दौरान एक साथ काम करना शुरू कर दिया.'
राजन ने कहा कि उन्होंने साथ मिलकर न्यूज पेपर्स के लिए ऑप-एड लिखा और अब उन्होंने 'ब्रेकिंग द मोल्ड' नाम की किताब साथ मिलकर लिखी है.
रघुराम राजन ने लिंक्डन पर आगे लिखा, ‘रोहित एक महान सैद्धांतिक अर्थशास्त्री हैं, जिनके पास एक मजबूत व्यावहारिक समझ भी है. वह भारत और इसके विकास के बारे में भावुक हैं, जैसा कि उम्मीद है कि किताब के पन्नों में सामने आएगा. वह यहां उन भारतीय सफलता की कहानियों के बारे में बात करते हैं जिनके बारे में हम लिखते हैं'. उन्होंने रोहित लांबा का एक वीडियो भी शेयर किया.
एक्स (ट्विटर) पर रघुराम राजन के इस पोस्ट को शेयर करते हुए रोहित लांबा ने लिखा, ‘हर रोज़ आपको अपने पसंदीदा अर्थशास्त्रियों में से एक से चिल्लाहट नहीं मिलती है, जो एक सलाहकार और सह-लेखक भी है. इसलिए मैं इसे स्वीकार करूंगा.'
'भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अहम किताब'
रघुराम राजन ने अपनी किताब के बारे में बात की और कहा, ‘भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. अब हम जो निर्णय लेंगे वह इसके आर्थिक भविष्य को निर्धारित करेगा, या तो अच्छा या बुरा. हमारी पुस्तक भारत के विकल्पों को रेखांकित करती है - यह या तो आंख बंद करके पुरानी बातों का अनुसरण कर सकता है वे रास्ते जो अन्य देशों ने अपनाए, या यह एक विशिष्ट भारतीय रास्ता अपना सकता है'.
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर विकास के संकेत दे रही है, लेकिन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने के लिए 8% से अधिक की गति से विस्तार करने की जरूरत है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजन ने शुक्रवार को बीजिंग में एक कार्यक्रम में वीडियो लिंक के माध्यम से कहा, ‘जनसंख्या की जरूरतों और नौकरियों की आवश्यकता को देखते हुए हमें 8%-8.5% पर जाना चाहिए. 6%-6.5% की आर्थिक वृद्धि अन्य देशों की तुलना में मजबूत है, लेकिन नौकरियों की हमारी आवश्यकता के सापेक्ष मुझे लगता है कि यह अभी भी कुछ धीमी है क्योंकि हमारे पास बहुत सारे युवा हैं जिन्हें रोजगार की आवश्यकता है'.