झुग्गी से अमेरिका तक का सफर पूरा करेंगी सरिता, हिंदी साहित्य में पीएचडी करने जाएंगी कैलिफोर्निया
सरिता माली की कहानी किसी परिकथा जैसी लग सकती है. सरिता मुंबई की झोपड़ पट्टी में पैदा हुई, नगर निगम के स्कूल में पढ़ीं और फिर सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल पर फूल बेचने के लिए गाड़ियों के पीछे दौड़ती रही, लेकिन कुछ बनने का सपना हमेशा उसकी आंखों में समाया रहा. उन्होंने कभी अपने हालात और अपनी किस्मत को दोष नहीं दिया, क्योंकि उसे अपने पिता की सीख हमेशा याद रही कि शिक्षा एकमात्र ऐसा हथियार है, जो उसे जहालत की इस जिंदगी से छुटकारा दिला सकता है.
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