शाहरुख खान के नाना शहनवाज खान ने लाल किले से उतार दिया था ब्रिटिश झंडा, क्या आपको पता था?

1943 में जब मेजर जनरल शाहनवाज खान, सुभाषचंद्र बोस के संपर्क में आए और उनसे प्रभावित होकर बाद में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए. शाहनवाज़ खान के साथ कई और क्रांतिकारी नताजी की आर्मी में आ गए. सबने मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस कारण उनपर राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ, मगर मेजर रुके नहीं.

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आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल

15 अगस्त 1947 को हमारा प्यारा देश आज़ाद हुआ था. इस आज़ादी के लिए कई वीरों ने अपनी शहादत दी और कई क्रांतिवीरों ने अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान कर दी. आज हम अपने देश के सपूतों को बड़े गर्व से याद करते हैं. यूं तो कई क्रांतिवीरों का नाम हमें याद है, मगर कुछ क्रांतिवीर अभी भी गुमनामी की ज़िंदगी जी रहे हैं. आइए, आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी ज़रा हटके हैं. आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल शाहनवाज खान (Shahnawaz Khan) के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. ये सुभाष चंद्र बोस के बहुत ही करीब थे. जानकारी के मुताबिक, 1943 में शाहनवाज़ खान सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में आए और आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए. इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि इन्होंने लाल किले से ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर भारतीय तिरंगे को फहरा दिया था. इतना ही नहीं, रिश्ते में ये बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के नाना भी लगते हैं. है न बेहद दिलचस्प कहानी.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शाहरुख खान का जन्म 1965 में हुआ था. इनके पिता का नाम ताज मोहम्मद खान और मां का नाम लातीफ फातिमा था. लातीफ फातिमा को देश के महान सपूत मेजर जनरल शाहनवाज़ खान ने गोद लिया था. इस कारण शाहरुख खान रिश्ते में नाती हुए.  

1943 में जब मेजर जनरल शाहनवाज खान, सुभाषचंद्र बोस के संपर्क में आए और उनसे प्रभावित होकर बाद में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए. शाहनवाज़ खान के साथ कई और क्रांतिकारी नताजी की आर्मी में आ गए. सबने मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस कारण उनपर राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ, मगर मेजर रुके नहीं.

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शाहनवाज खान का जन्म 24 जनवरी 1914 को अविभाजित भारत में हुआ. पाकिस्तान के रावलपिंडी के मटौर गांव में जन्म लेने के बाद घरवालों ने इनका बड़ा ख्याल रखा. इनकी पढ़ाई प्रिंस आफ वेल्स रॉयल इंडियन मिलट्री कॉलेज, देहरादून से हुई. पढ़ाई पूरी करने के बाद ही ये ब्रिटिश इंडियन आर्मी का हिस्सा बन गए, मगर नेताजी से प्रभावत होकर इन्होंने आजाद हिन्द फौज को ज्वाइन कर लिया. 

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आज़ादी के बाद मेजर शाहनवाज खान ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली और वो 1952 से 1971 तक लगातार चार बार मेरठ से सांसद रहे. 20 से अधिक सालों तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे.

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