यहां मिला दुनिया का सबसे बड़ा मकड़ी का जाल, बना 1 लाख से ज्यादा जीवों का ‘जालमहल', वैज्ञानिकों के भी उड़े होश!

वैज्ञानिकों ने अल्बानिया-ग्रीस बॉर्डर पर एक गुफा में दुनिया का सबसे बड़ा मकड़ी जाल खोजा है. इस जाल में 1.10 लाख से अधिक जीव रहते हैं, जिनमें दो प्रजातियों की हजारों मकड़ियां शामिल हैं.

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यहां मिला दुनिया का सबसे बड़ा मकड़ी का जाल

अगर आपको मकड़ियों से डर लगता है, तो यह खोज आपके रोंगटे खड़े कर देगी! वैज्ञानिकों ने अल्बानिया और ग्रीस की सीमा पर एक गहरी गुफा में दुनिया का सबसे बड़ा मकड़ी जाल (World's Largest Spiderweb) खोजा है. यह विशाल जाल करीब 1,140 वर्ग फीट (लगभग 100 वर्ग मीटर) क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 69,000 घरेलू मकड़ियां (Domestic House Spiders) और 42,000 ड्वार्फ वीवर स्पाइडर्स (Dwarf Weaver Spiders) साथ रहती हैं.

बिना धूप और जहरीली गैसों में भी जीवित!

यह खोज वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बन गई है क्योंकि यह पूरा मकड़ी कॉलोनी “सल्फर केव” (Sulfur Cave) नामक जगह पर पाई गई, जहां न धूप पहुंचती है और न ही सांस लेने लायक हवा. गुफा में हाइड्रोजन सल्फाइड गैस की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो ज़्यादातर जीवों के लिए घातक मानी जाती है. इसके बावजूद हजारों मकड़ियों का इतने विषैले माहौल में जीवित रहना वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है. रिसर्च के मुताबिक, यह जाल गुफा के उस हिस्से में फैला है जो हमेशा अंधेरे में रहता है, प्रवेश द्वार से करीब 50 मीटर अंदर.

दो मकड़ी प्रजातियों का ‘टीमवर्क' 

इस अध्ययन को ‘Subterranean Biology' जर्नल में प्रकाशित किया गया है. रिसर्चर्स के अनुसार, यह पहली बार है जब इन दो मकड़ी प्रजातियों को एक साथ मिलकर कॉलोनी बनाते और जाल बुनते देखा गया. लीड ऑथर इस्तवान यूराक (Istvan Urak), जो ट्रांसिल्वेनिया की Sapientia Hungarian University of Romania में बायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने कहा: “इसे देखकर जो अहसास हुआ, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. वह डर नहीं, बल्कि प्रशंसा और सम्मान का पल था.”

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क्या खाती हैं ये भूमिगत मकड़ियां?

वैज्ञानिकों ने पाया कि ये मकड़ियां ‘मिजेस' (midges) नामक छोटे कीड़ों को खाती हैं, जो सल्फर खाने वाले सूक्ष्म जीवों (microbes) पर निर्भर रहते हैं. यानी इस गुफा का पूरा खाद्य चक्र सल्फर से जुड़ा हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि इन मकड़ियों के शरीर में मौजूद माइक्रोबायोम (microbiome) यानी सूक्ष्म जीवों की विविधता, सामान्य मकड़ियों से काफी कम पाई गई.

मॉलिक्यूलर टेस्ट से यह भी साबित हुआ कि गुफा में रहने वाली मकड़ियां, बाहर रहने वाली उसी प्रजाति की मकड़ियों से जेनेटिक रूप से अलग (genetically different) हो चुकी हैं, यानी उन्होंने इस अंधेरे और विषैले वातावरण में खुद को ढाल लिया है.

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2022 में पहली बार पता चला, अब हुई वैज्ञानिक पुष्टि

इस विशाल जाल को सबसे पहले Czech Speleological Society के गुफा-विशेषज्ञों ने 2022 में खोजा था. 2024 में एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक टीम ने वहां जाकर नमूने इकट्ठे किए और अब इस खोज की वैज्ञानिक पुष्टि की गई है. यह अब तक के सबसे बड़े और रहस्यमय मकड़ी समूहों में से एक माना जा रहा है.

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