अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइपे दौरे से भड़के चीन ने अपनी ताकत दिखाने के लिए ताइवान जलडमरूमध्य में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास में विमानवाहक पोत और परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी तैनात कर दिए हैं. जिसके बाद ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने गुरुवार को कहा कि चीन द्वारा आज ताइवान के आसपास के क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास शुरू करने के साथ, हम बीजिंग से तर्क के साथ काम करने और संयम बरतने का आह्वान करते हैं. ताइवान संघर्ष को नहीं बढ़ाएगा, लेकिन हम अपनी संप्रभुता, अपनी सुरक्षा और अपने लोकतंत्र की दृढ़ता से रक्षा करेंगे.
बताते चलें कि पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन ने सख्त आपत्ति जताई थी क्योंकि वह ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना अनुसंधान अकादमी के एक वरिष्ठ शोध फैलो झांग जुंशे ने सरकार के नियंत्रण वाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स' को बताया था कि बृहस्पतिवार से रविवार तक ताइवान के आसपास अभ्यास में उसका पहला विमान वाहक पोत हिस्सा लेगा, जो एक समुद्री बहुआयामी युद्ध प्रणाली स्थापित करेगा.
इधर श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ एक बैठक के दौरान एक चीन नीति के साथ-साथ राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों के लिए श्रीलंका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया.''
विक्रमसिंघे ने बुधवार को क्यूई के साथ अपनी बैठक के दौरान कहा कि देशों को उकसावे की किसी ऐसी स्थिति से बचना चाहिए जिससे मौजूदा वैश्विक तनाव और बढे. उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘आपसी सम्मान और देशों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप शांतिपूर्ण सहयोग और गैर-टकराव के लिए महत्वपूर्ण आधार हैं.''
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