यूक्रेन के रेल नेटवर्क ने कैसे रूसी सेना के प्लान को पटरी से उतारा ! जानिए कैसे बिगड़ा खेल

रूसी हमले में नाकामी से रूसी राष्ट्रपति (President Vladimir Putin) के अजेय रहने की संभावनाओं पर सवाल उठने लगे हैं. रूसी सेना पूर्व सोवियत संघ की तरह गोला-बारूद औऱ अन्य साजोसामान की आपूर्ति के लिए रेल नेटवर्क पर निर्भर है.

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Russia Ukraine Crisis : रूस के यूक्रेन पर हमले के 9 दिन हो चुके हैं
नई दिल्ली:

रूसी सेना के यूक्रेन पर हमले के नौ दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की फौज यूक्रेन के बड़े शहरों पर कब्जा जमाने में नाकाम रही है. विशालकाय रूसी सेना की इस विफलता की परतें भी खुलने लगी हैं. सैन्य विशेषज्ञों ने रूसी सेना की रणनीति की कमजोरियों को उजागर किया है, जिनकी वजह से वो यूक्रेन पर अभी भी अपना कब्जा नहीं जमा पाई है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें सबसे बड़ी वजह यूक्रेन का रेल नेटवर्क रहा है, जिसने बिजली की रफ्तार से हमले के बाद पड़ोसी मुल्क पर नियंत्रण के रूसी सेना के प्लान को पटरी से उतार दिया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने टीवी पर अपने संबोधन में कहा है कि यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान अपने तय समय के अनुसार आगे बढ़ रहा था. यूक्रेन में रूसी सेना को तेल और अन्य रसद की आपूर्ति के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है.  रूसी सेना के सशस्त्र वाहन ईंधन की कमी के कारण सड़क किनारे अटके हुए हैं. वहीं रूसी सैनिक भोजन की तलाश में राशन की दुकानों की खाक छान रहे हैं. कीव के बाहर रूसी सेना के ट्रकों का लंबा काफिला ट्रैफिक जाम की शक्ल ले चुका है.

रूसी हमले में नाकामी से रूसी राष्ट्रपति (President Vladimir Putin) के अजेय रहने की संभावनाओं पर सवाल उठने लगे हैं. रूसी सेना पूर्व सोवियत संघ की तरह गोला-बारूद औऱ अन्य साजोसामान की आपूर्ति के लिए रेल नेटवर्क पर निर्भर है. अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेना को तेल-पानी आदि की आपूर्ति के लिए उसे अस्थायी पाइपलाइन बनानी पड़ी हैं. इसके बावजूद यूक्रेन में उसे सड़क के रास्ते ही आगे बढ़ना पड़ा है. रूसी फौज के पास ट्रकों की भी भारी कमी है. जबकि आमतौर पर उन्हें इसकी दरकार नहीं होती. हालांकि यूक्रेन की सशस्त्र सेना ने तेज रफ्तार से कीव पर हमला करने और सरकार को हटाने की रूसी की योजना को विफल करने के लिए बहुत कुछ किया है. लेकिन लॉजिस्टिक्स औऱ रेल ट्रांसपोर्ट की कमी रूसी सेना के इरादों पर भारी पड़ रही है. 

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