अब Omicron का नया सब वैरिएंट आया सामने, बहुत तेजी से फैला रहा संक्रमण, 57 देशों में मिले मामले : WHO

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि इस सब वैरिएंट के बारे में अभी तक बहुत कम जानकारी उपलब्ध हो सकी है, इसलिए इस पर डिटेल स्टडी के लिए कहा गया है, ताकि इसकी संक्रामकता का पता लगाया जा सके और सुरक्षा प्रतिरक्षा पर इसके विषाणु के चकमा देने की संभाव्यता का पता लगाया जा सके.

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WHO ने कहा है कि "BA.2" सब वैरिएंट म्यूटेशन के मामले 57 देशों से GISAID को प्रस्तुत किए गए हैं.
जेनेवा (स्विटजरलैंड):

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) के अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) का एक नया सब वैरिएंट पाया गया है और  कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि यह ऑरिजिनल वैरिएंट की तुलना में और भी अधिक संक्रामक हो सकता है. WHO ने कहा कि इस नए सब वैरिएंट के मामले 57 देशों में मिले हैं.

तेजी से फैलने और उत्परिवर्तित (Mutated) होने वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट अब दुनिया भर के देशों में कोविड संक्रमण का प्रमुख कारण बन गया है. यह पहली बार 10 सप्ताह पहले दक्षिणी अफ्रीका में पाया गया था.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने साप्ताहिक अपडेट रिपोर्ट्स में कहा कि पिछले महीने एकत्र किए गए सभी कोरोनावायरस नमूनों का 93 प्रतिशत कवर करने वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट के कई उप-वंशों (Sub-lineages)हैं. इनमें  BA.1, BA.1.1, BA.2 और BA.3 जैसे सब वैरिएंट शामिल हैं. 

WHO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओमिक्रॉन के 96 फीसदी मामलों में BA.1 और BA.1.1 की पहचान की गई लेकिन BA.2 से जुड़े मामलों में अब स्पष्ट वृद्धि दिखाई पड़ती है, जो ऑरिजिनल वैरिएंट से हटकर कई अलग-अलग म्यूटेंट काउंट कर रहा है. संगठन ने बताया है कि इस म्यूटेंट में स्पाइक प्रोटीन भी शामिल है जो वायरस की सतह को डॉट करता है और मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है.

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डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि "BA.2" सब वैरिएंट म्यूटेशन के मामले 57 देशों से GISAID को प्रस्तुत किए गए हैं.  WHO ने कहा कि कुछ देशों में, अब इस सब वैरिएंट के मामले कुल संक्रमण के मामलों में आधे से अधिक रिपोर्ट किए जा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि इस सब वैरिएंट के बारे में अभी तक बहुत कम जानकारी उपलब्ध हो सकी है, इसलिए इस पर डिटेल स्टडी के लिए कहा गया है, ताकि इसकी संक्रामकता का पता लगाया जा सके और सुरक्षा प्रतिरक्षा पर इसके विषाणु के चकमा देने की संभाव्यता का पता लगाया जा सके.

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