सऊदी क्राउन प्रिंस को सता रहा हत्या का डर, इजरायल संग रिश्ते सामान्य करने पर ये कैसा खौफ?

सऊदी प्रिंस (Mohammed Bin Salman) ने मिस्त्र का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रपति अनवर सादात ने 1981 में जब इजरायल के साथ जब शांति समझौता किया तो उनकी हत्या कर दी गई थी.

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दिल्ली:

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Crown Prince Mohammed Bin Salman) की जान को खतरा है. अमेरिकी न्यूज आउटलेट Politico की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. न्यूज आउटलेट के मुताबिक, अगर सऊदी प्रिंस इजरायल के साथ सामान्यीकरण समझौता (Israel Saudi Deal) करते हैं, तो उनकी हत्या हो सकती है. सऊदी प्रिंस ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने अमेरिकी सांसदों को कथित तौर पर बताया कि अगर वह इजरायल के साथ ऐसा समझौता करते हैं, जिसमें फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता देने की बात शामिल नहीं होगी, तो उनकी हत्या की जा सकती है. 

सऊदी क्राउन प्रिंस को क्यों है हत्या का डर?

मोहम्मद बिन सलमान ने किसी भी संभावित सामान्यीकरण समझौते में फिलिस्तीनी राष्ट्र के लिए स्पष्ट रास्ते को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने मिस्त्र का हवाला देते हुए कहा कि मिस्त्र के राष्ट्रपति अनवर सादात ने 1981 में जब इजरायल के साथ जब शांति समझौता किया तो इस्लामी आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी. इसके साथ ही सऊदी प्रिंस ने ये भी पूछा कि तब अमेरिका ने सादात की रक्षा के लिए क्या किया था. बिन सलमान ने कहा कि अगर इस्लाम की पवित्र जगहों के संरक्षक के रूप में वह क्षेत्र के सामने सबसे जरूरी न्याय के मुद्दे को हल नहीं करते हैं तो वह इस्तीफा दे देंगे. उनका कहना है कि सऊदी के लोगों को फिलिस्तीन की बहुत चिंता है. पूरा मध्य पूर्व भी इसे लेकर काफी गंभीर है. 

क्या है मोहम्मद बिन सलमान की मांग?

सऊदी प्रिंस को इस बात का डर है कि अगर उन्होंने इजरायल के साथ सामान्यीकरण समझौता किया तो उनकी जान को खतरा है. इस बीच उन्होंने फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए स्पष्ट रास्ते की मांग की जरूरत पर भी जोर दिया. उनका मानना है कि अगर उन्होंने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो इस्लाम के पवित्र स्थलों के संरक्षक के रूप में उनका कार्यकाल सुरक्षित नहीं होगा. हालांकि रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया है कि सऊदी प्रिंस ने अपनी हत्या को लेकर चिंता कितने समय पहले जताई थी. अमेरिकी कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, गाजा युद्ध की वजह से इजरायल-सऊदी सामान्यीकरण के समझौते की उम्मीद कम ही है. 

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इजरायल संग डील से सऊदी को क्या फायदा?

सऊदी प्रिंस अपनी जान के खतरे के बाद भी अमेरिका और इजरायल के साथ समझौते को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है. उनको लगता है कि सऊदी के भविष्य के लिए यह समझौता जरूरी है. क्यों कि इसके बदले में सऊदी को अमेरिका से हथियारों की रेगुलर सप्लाई, सुरक्षा की गारंटी मिल सकेगी. इसके साथ ही सऊदी अमेरिका की मदद से नागरिक परमाणु प्रोग्राम भी शुरू कर सकेगा. 

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इजरायल-सऊदी डील में कया है पेंच?

इजरायल-सऊदी डील के बीच बड़ा पेंच फिलिस्तीनी राष्ट्र की मान्यता वाली मांग है. इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू फिलिस्तीनी राष्ट्र की मांग को अपने समझौते में शामिल करने के विरोधी हैं. हालांकि गाजा युद्ध की शुरुआत में ही सऊदी ने अमेरिका से साफ कह दिया था कि फिलिस्तीनी राष्ट्र को जब तक मान्यता नहीं मिलती वह इजरायल के साथ कोई संबंध स्थापित नहीं करेगा. सऊदी विदेश मंत्रालय यह बात कह चुका है कि स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर फिलिस्तीन को मान्यता मिलनी चाहिए. येरूशलेम इसकी राजधानी बने.
 

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