प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश से भारत पहुंचीं शेख हसीना ने तख़्तापलट के लिए सीधे तौर पर अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया है. देश छोड़ने से पहले हसीना एक भाषणा देना चाहती थी. इसी भाषण की कथित कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जिसमें लिखा गया है अगर मैं सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को दे देती तो ये सब नहीं होता. सेंट मार्टिन द्वीप कहां स्थित है और आखिर क्यों अमेरिका बांग्लादेश से ये द्वीप चाहता था. आइए जानते हैं सेंट मार्टिन द्वीप की कहानी.....
सेंट मार्टिन द्वीप बांग्लादेश का एकमात्र कोरल रीफ द्वीप है. जो कि बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है. बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी भाग में महज़ 3 वर्ग किलोमीटर में फैला सेंट मार्टिन द्वीप को नारिकेल ज़िन्ज़ीरा (Narikel Zinzira) के नाम से भी जाना जाता है. इसका अर्थ 'नारियल द्वीप होता है.
सेंट मार्टिन द्वीप का इतिहास
1900 में, सेंट मार्टिन द्वीप ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा था. साल में 1937 में म्यांमार जब ब्रिटिश इंडिया से अलग हुआ था. तब ये भारत का ही हिस्सा रहा. साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के बांटवारे के समय ये द्वीप पाकिस्तान के हिस्से आया था, उस समय बांग्लादेश भी पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था. साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश एक देश बना और ये द्वीप बांग्लादेश को मिल गया. साल 1974 में सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर बांग्लादेश और म्यांमार में समझौता भी हुआ. जिसमें इस द्वीप को बांग्लादेश का हिस्सा माना गया.
सेंट मार्टिन द्वीप को बांग्लादेश का हिस्सा मानने वाले 1974 के समझौते के बावजूद, म्यांमार इस द्वीप पर अपना हक बताता रहा है. ये मामला समुद्री कानून के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण (आईटीएलओएस) के पास भी पहुंचा था. साल 2012 में आईटीएलओएस ने सेंट मार्टिन द्वीप को बांग्लादेश का हिस्सा माना था. लेकिन म्यांमार अभी भी इसे अपना क्षेत्र मानता है.
सेंट मार्टिन द्वीप पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा जगह है और स्थानीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है. यहां पर 3 हजार से अधिक लोग रहते हैं. जिनमें से अधिकांश मुख्य रूप से मछली पकड़कर अपना जीवन यापन करते हैं. ये द्वीप बेहद सुंदर है और यहां पर लोग धूमने के लिए भी आते हैं.
अमेरिका की नजर
सेंट मार्टिन द्वीप दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्गों में से एक मलक्का जलडमरूमध्य के पास स्थित है. इस द्वीप पर सैन्य अड्डा होने से किसी भी देश की ताकत बंगाल की खाड़ी में बढ़ जाएगी. माना जाता है कि इस द्वीप पर अमेरिका अपनी सेना की उपस्थित चाहता है. ताकि उसका दबदबा बंगाल की खाड़ी में बढ़ सके.
शेख हसीना पहले भी ये दावा कर चुकी हैं कि अमेरिका इस द्वीप को चाहता है. जून में शेख हसीना ने दावा करते हुए कहा था कि अमेरिका इस द्वीप पर अपना अधिकार चाहता है और ऐसे करने के लिए उसने बांग्लादेश आम चुनाव में शेख हसीना को जीत दिलाने का वादा भी किया था. लेकिन उन्होंने अमेरिका को ये द्वीप देने से मना कर दिया था.
हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने इस दावे को गलत बताया था. महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के पास स्थित होने की वजह से अमेरिका की तरह ही चीन की नजर भी इस द्वीप पर है.