PM Modi Austria Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रूस के बाद अब ऑस्ट्रिया के दौरे पर हैं. पीएम मोदी के वियना पहुंचने पर उनका शानदार स्वागत किया गया. पीएम मोदी अपने इस दौरे पर ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति वैन डेर बेलेन और चंसलर कार्ल नेहमर से मुलाकात करेंगे. साथ ही प्रधानमंत्री वहां बसे भारतीयों से भी मुखातिब होंगे. माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच अहम समझौतों पर मुहर लग सकती है. यह 40 साल से ज्यादा वक्त बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का ऑस्ट्रिया दौरा है. इस साल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की स्थापना के 75 साल हो चुके हैं.
राष्ट्रपति स्तर की हो चुकी हैं कई यात्राएं
विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 1999 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी. इसके बाद 2005 में ऑस्ट्रिया के तत्कालीन राष्ट्रपति हेंज फिशर ने भारत की यात्रा की थी. वर्ष 2010 में तत्कालीन ऑस्ट्रियाई उप-चांसलर जोसेफ प्रोल भारत आए और इसके बाद 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह पहली ऑस्ट्रिया यात्रा होगी. प्रधानमंत्री ने अक्टूबर 2021 में ग्लासगो में सीओपी26 के मौके पर तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर (अब विदेश मंत्री) शालेनबर्ग से मुलाकात की थी.
PM मोदी की इस यात्रा से क्या हासिल होगा ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा को ऐतिहासिक माना जा रहा है. इसका पहला कारण राजनयिक संबंधों के 75 साल हैं तो इसके अलावा भी कई कारण है जो इस यात्रा को अहम बनाते हैं. पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने के साथ ही सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर चर्चा होगी.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पीएम मोदी की यात्रा से पहले ऑस्ट्रिया को एक "महत्वपूर्ण मध्य यूरोपीय देश" कहा, जो बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, स्टार्ट-अप क्षेत्रों, मीडिया और मनोरंजन में द्विपक्षीय सहयोग के उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है. साथ ही उन्होंने भारत और ऑस्ट्रिया के बढ़ते व्यापार और निवेश संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फरवरी 2024 में भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्ट-अप ब्रिज को लॉन्च किया गया है, यह आशाजनक शुरुआत है.
भारत और ऑस्ट्रिया ने पिछले साल मई में कई समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे और द्विपक्षीय साझेदारी के नए क्षेत्रों का विस्तार और पता लगाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखा है. इस दौरे पर भी कई समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. दोनों देशों के बीच 2023-24 में 2.93 बिलियन यूएस डॉलर का व्यापार हुआ था.
तत्कालीनी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दो बार की थी ऑस्ट्रिया की यात्रा
इंदिरा गांधी के जून 1983 में वियना पहुंचने के बाद एक स्थानीय समाचार पत्र ने उनका कार्टून छापा था, जिसमें चांसलर फ्रेड सिनोवाट्ज को इंदिरा गांधी का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए दिखाया गया था. साथ ही कहा था कि दोनों एक दूसरे के लिए अपरिचित चेहरे हैं.
हालांकि तीन दिनों में दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई थी, जिनमें वैश्विक अर्थव्यवस्था, अफगानिस्तान और द्विपक्षीय संबंधों सहित विषय थे. इस दौरान सिनोवाट्ज ने इंदिरा गांधी की दूरदर्शिता और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेतृत्व को लेकर जमकर प्रशंसा की थी. इसी यात्रा के बाद भारत-ऑस्ट्रियाई आर्थिक आयोग की स्थापना हुई थी. साथ ही भारत में ऑस्ट्रिया की एक स्टील परियोजना के साथ ही अन्य देशों में भारत-ऑस्ट्रिया संयुक्त उपक्रम शुरू करने पर भी चर्चा हुई थी. साथ ही भारतीय पर्वतीय सैनिकों के लिए 1,500 घोड़ों की आपूर्ति भी शामिल थी.
वहीं अल्पबाख में आयोजित एक पश्चिमी यूरोप-भारत डॉयलॉग कांग्रेस में 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. इनमें करीब 150 भारतीय थे. इंदिरा गांधी ने इस दौरान विैश्विक क शांति पर जोर दिया था.
भारत-पाक युद्ध से पहले भी ऑस्ट्रिया पहुंची थी इंदिरा गांधी
इंदिरा गाधी ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले ऑस्ट्रिया की यात्रा की थी. गांधी ने 27 अक्टूबर 1971 को ऑस्ट्रिया की अपनी तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दौरान, वियना में राष्ट्रपति फ्रांज जोनास से मुलाकात की थी. इस दौरान गांधी ने भारत और पाकिस्ता के बीच की स्थिति को बेहद "बेहद खतरनाक" बताया था और कहा था कि पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को जो राजनीतिक समाधान स्वीकार्य हो, वही संकट का समाधान कर सकता है. इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच के संबंधों के साथ ही पूर्वी पाकिस्तान में हो रहे घटनाक्रम की जानकारी दी थी.
इंदिरा गांधी ने उन्होंने ऑस्ट्रिया के चांसलर ब्रूनो क्रेस्की के साथ 90 मिनट तक चर्चा की थी और भीषण शरणार्थी संकट के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि पूर्वी पाकिस्तान से रोजाना तीस हजार से बयालीस हजार शरणार्थी भारत में आ रहे थे. ब्रुसेल्स से वियना पहुंचीं गांधी यूरोप के छह देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में थीं.
जून 1955 में जवाहरलाल नेहरू की यात्रा
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया था. यह वही साल था जब देश को स्वतंत्रता मिली थी. नेहरू की ऑस्ट्रिया यात्रा सोवियत संघ, यूगोस्लाविया, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया और इटली के उनके पूर्वी यूरोपीय दौरे का हिस्सा थीं. इस यात्रा के दौरान नेहरू ने 27 जून 1955 को वियना में एक संबोधन दिया था, जिसमें उन्होंने शांति का संदेश देते हुए कहा था कि युद्ध की ओर बढ़ने से रोकने के लिए सभी देशों को एक साथ आना चाहिए.
टैगोर ने भी की थी वियना की यात्रा
ऑस्ट्रिया को दुनिया में उसकी समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत के लिए जाना जाता है. वहीं वियना अपने संगीत और प्रसिद्ध संगीतकारों की एक लंबी विरासत को संजोए है.
विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, दार्शनिक-कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने दो बार वियना की यात्रा की है. टैगोर 1921 और 1926 में वियना पहुंचे थे. उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण पुलों में से एक थी.
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