पहली बार खगोलविदों ने एक ऐसे ग्रह की पहचान की है, जो ढलते सूर्य के साथ प्रलयकारी टक्कर की ओर बढ़ रहा है. पृथ्वी एक दिन कैसे समाप्त हो सकती है? पहचान किया गया ग्रह संभावित रूप से इसकी झलक पेश करता है. सोमवार को प्रकाशित एक नई स्टडी में ज्यादातर यूएस-आधारित रिसर्चर्स की एक टीम ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक्सोप्लैनेट केप्लर-1658 (Exoplanet Kepler-1658b) बी इस बात पर प्रकाश डालने में मदद कर सकता है कि कैसे दुनिया कैसे खत्म हो जाती है, क्योंकि समय के साथ-साथ उसके सितारों की उम्र बढ़ती जाती है.
केप्लर-1658बी हमारी पृथ्वी से 2600 प्रकाश वर्ष दूर है. इसे "गर्म बृहस्पति" ग्रह के रूप में जाना जाता है. बृहस्पति के आकार के समान ग्रह अपने मेजबान तारे की परिक्रमा हमारे सूर्य और बुध के बीच की दूरी के आठवें हिस्से में करता है, जिससे यह सौर मंडल में गैस के विशालकाय गोले से कहीं अधिक गर्म हो जाता है.
'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, अपने मेजबान तारे के चारों ओर केप्लर -1658 बी की कक्षा में तीन दिन से भी कम समय लगता है. इसका आकार एक साल में लगभग 131 मिलीसेकंड घट रहा है.
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एक पोस्टडॉक और अध्ययन के प्रमुख लेखक श्रेयस विसाप्रगदा ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "अगर यह प्रेक्षित दर से अपने तारे की ओर बढ़ता रहता है, तो ग्रह तीन मिलियन से भी कम वर्षों में अपने तारे से टकराएगा. यह पहली बार है जब हमने किसी ग्रह के अपने विकसित तारे की ओर बढ़ने का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा है." ये विकसित तारा सूक्ष्म तारकीय चरण में प्रवेश कर चुका है और जब इसका विस्तार होता है तो ये और चमकीला हो जाता है.
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