- पाकिस्तान उलेमा काउंसिल ने तालिबान से विदेशी उग्रवाद रोकने के लिए मौलवियों के प्रस्ताव को लागू करने की अपील की
- पाकिस्तान उलेमा काउंसिल ने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ किसी भी विरोध का विरोध किया है
- अशरफी ने पाक सेना प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमत शरीफ चौधरी पर हो रहे जुबानी हमलों की कड़ी निंदा की है
पाकिस्तान में अलग-अलग सुन्नी विचारधाराओं वाले मौलवियों के समूह ने तालिबान से एक बड़ी अपील की है. पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (PUC) ने अफगानिस्ता को कंट्रोल करने वाली तालिबान सरकार से आग्रह किया है वह विदेश में उग्रवाद फैलाने के खिलाफ 1,000 से अधिक अफगान मौलवियों द्वारा हाल ही में पारित प्रस्ताव को लागू करे. यह रिपोर्ट पाकिस्तान के डॉन अखबार ने छापी है.
रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष हाफिज ताहिर महमूद अशरफी ने रविवार, 14 दिसंबर को कहा, "अब यह अफगान अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि वो अपने मौलवियों द्वारा हाल में जारी प्रस्ताव को जमीन पर लागू करे." उन्होंने प्रस्ताव को "सही दिशा में सकारात्मक कदम" बताया और कहा कि अफगान के मौलवियों और पाकिस्तान के मौलवियों के रुख में कोई अंतर नहीं है.
पाकिस्तान सेना के खिलाफ कोई नहीं बोले- उलेमा काउंसिल
पाकिस्तान उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष अशरफी ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान सेना के खिलाफ आवाज उठाने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान के धार्मिक मदरसे और मस्जिदें देश, इसकी सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा के लिए तैयार रहेंगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मातृभूमि की रक्षा करना एक सामूहिक जिम्मेदारी है.
अशरफी ने पाकिस्तान के सभी राजनीतिक दलों से देश की रक्षा, अर्थव्यवस्था और आंतरिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए एक साथ बैठने और बातचीत में शामिल होने का आग्रह किया. उन्होंने इमरान खान को पागल बताने वाले पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमत शरीफ चौधरी पर किए गए जुबानी हमलों और आलोचना की भी कड़ी निंदा की.













