पाकिस्तान को IMF देगा एक अरब डॉलर का ऋण, इमरान ख़ान के पास नहीं है देश चलाने को पैसा

पाकिस्तान (Pakistan) को आतंकवाद की वजह से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वह 2018 से लगातार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में है. इस वजह से उसे विदेश से आने वाली वित्तीय निवेश और मदद को कड़ी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है.

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प्रधानमंत्री इमरान खान बता चुके हैं कि पाकिस्तान कर्जे में डूब रहा है
इस्लामाबाद:

आतंकवादियों को फंडिंग (Terror Funding) के कारण आर्थिक मोर्च पर परेशानियों का सामना कर रहा पाकिस्तान (Pakistan) अब अपने दोस्त देशों और अंतरर्राष्ट्रीय संस्थानों के सामने मदद के लिए झोली फैला रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) खुद बता चुके हैं कि पाकिस्तान के ऊपर क़रीब 30 हज़ार खरब का कर्ज है और लोग टैक्स भर नहीं रहे. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की तरफ से बड़ी पाकिस्तान के लिए राहत की खबर आई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के लिए अपने छह अरब डॉलर के रुके हुए कार्यक्रम की छठी समीक्षा को पूरा करने की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही IMF नकदी की कमी का सामना कर रहे पाकिस्तान को लगभग एक अरब डॉलर के ऋण की तत्काल एक किश्त जारी करेगा. 

IMF के कार्यकारी बोर्ड ने बुधवार को वाशिंगटन डीसी में छठी समीक्षा पूरी करने और विस्तारित फंड सुविधा के तहत एक अरब डॉलर की किश्त जारी करने के पाकिस्तान के अनुरोध पर विचार करने के लिए एक बैठक की.  इसके बाद यह किश्त जारी की गई है.पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारिन ने भी एक ट्वीट में मंजूरी की पुष्टि की है. 

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गौरतलब है कि पाकिस्तान और आईएमएफ ने जुलाई 2019 में तीन साल की विस्तारित फंड सुविधा के तहत आर्थिक नीतियों पर एक समझौता किया था. इस समझौते के तहत पाकिस्तान को 39 महीने की अवधि के लिए लगभग छह अरब डॉलर दिए जायेंगे. 

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टैक्स न चुकाना पाकिस्तान की एक समस्या है लेकिन पाकिस्तान को आतंकवाद की वजह से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वह 2018 से लगातार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में है. इस वजह से उसे विदेश से आने वाली वित्तीय निवेश और मदद को कड़ी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है. ब्लैक लिस्ट होने के ख़तरों के बीच विदेशी वित्तीय संस्थानों और निवेशकों के लिए पाकिस्तान पसंदीदा जगह नहीं है. ज़ाहिर है कि पाकिस्तान को अगर अपने आर्थिक कंगाली से बाहर आना है तो टैक्स वसूली बढ़ाने के साथ-साथ आतंकी फंडिग आदि पर भी काबू पाना होगा.

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