- सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं
- इस समझौते के तहत एक देश पर हमला दोनों देशों के खिलाफ आक्रामकता माना जाएगा, जो NATO जैसी सुरक्षा व्यवस्था है
- एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने कहा कि यह समझौता पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को भी कवर करता है
सऊदी अरब और परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान के बीच एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है. इसके तहत पाकिस्तान या सऊदी, दोनों में से किसी भी देश के खिलाफ किसी भी आक्रामकता को दोनों के खिलाफ आक्रामकता माना जाएगा. यानी एक पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा. यह कुछ ऐसा ही समझौता है जो पश्चिमी देशों के संगठन NATO में देखा जाता है. पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद की राजकीय यात्रा के दौरान इस 'रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते' पर मुहर लगी है. समझौते पर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज ने हस्ताक्षर किए हैं.
न्यूक्लियर शिल्ड वाला वादा?
एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने द फाइनेंशियल टाइम्स से नाम न छापने की शर्त पर बात करते हुए सुझाव दिया कि पाकिस्तान की परमाणु हथियार वाली सुरक्षा इस समझौते का एक हिस्सा है, जो "विशिष्ट खतरे के आधार पर आवश्यक समझे जाने वाले सभी रक्षात्मक और सैन्य साधनों का उपयोग करेगा."
इजरायल को संदेश?
यह समझौता उस समय हुआ है जब कुछ दिन पहले ही मिडिल ईस्ट के देश कतर में हमास नेताओं को निशाना बनाकर इजरायल ने हमले किए थे. इजरायल के इस कदम से उन खाड़ी देशों में असुरक्षा की लहर दौड़ गई है जो अपनी सुरक्षा के लिए लंबे समय से अमेरिका पर निर्भर हैं.
सऊदी और पाकिस्तान के बीच हुए इस समझौते की टाइमिंग अपने आप में इजरायल के लिए एक मैसेज प्रतीत होती है. इजरायल लंबे समय से मिडिल ईस्ट का एकमात्र परमाणु हथियार से लैस देश माना जाता है. उसने हमास के 7 अक्टूबर, 2023 हमले के बाद से ईरान, लेबनान, फिलिस्तीनी क्षेत्रों, कतर, सीरिया और यमन तक विशाल सैन्य आक्रमण किए हैं.
अमेरिका की बढ़ी चिंता?
अफगानिस्तान और पाकिस्तान में लंबे अनुभव वाले पूर्व अमेरिकी डिप्लोमेट जल्मय खलीलजाद ने इस समझौते पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह "खतरनाक समय" में आया है. खलीलजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार और डिलीवरी सिस्टम हैं जो इजरायल सहित पूरे मिडिल ईस्ट के किसी लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं. वह ऐसे सिस्टम भी विकसित कर रहा है जो अमेरिका में लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं."
एपी की रिपोर्ट के अनुसार रिटायर्ड पाकिस्तानी ब्रिगेडियर. जनरल फिरोज हसन खान ने अपने पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम पर अपनी किताब "ईटिंग ग्रास: द मेकिंग ऑफ द पाकिस्तानी बम" में कहा है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को रियायत पर वित्तीय सहायता दी थी. इससे पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम जारी रखने में सक्षम हुआ, खासकर जब पाकिस्तान पर उसके परमाणु कार्यक्रम के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे.
2007 में विकीलीक्स के खुलासे में एक बड़ी बात और सामने आई थी. इसमें सऊदी अरब में मौजूद अमेरिकी राजनयिकों ने उल्लेख किया कि पाकिस्तान सऊदी को यह ऑफर दे रहा है कि वो इस्लामाबाद के साथ एक हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ाए.
(इनपुट- एपी)