संयुक्त राष्ट्र (UN) ने एक बार फिर उत्तर-कोरिया (North Korea) को जमकर लताड़ा है. भुखमरी और कंगाली झेल रहे उत्तर कोरिया (North Korea) ने इस साल की शुरूआत से एक के बाद एक नौ मिसाइल टेस्ट किए. ऐसे में सवाल उठा कि उत्तर-कोरिया के पास यह टेस्ट करने का पैसा आ कहां से रहा है. इसका जवाब अब संयुक्त राष्ट्र ने दिया है. उत्तर कोरिया ने पिछले साल क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (Cryptocurrency Exchange) पर साइबर अटैक (Cyberattack) कर मोटी कमाई की है. संयुक्त राष्ट्र की एक खुफिया रिपोर्ट के एक्सपर्ट ने यह खुलासा शनिवार को किया.
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र प्रतिबंध निगरानीकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की नॉर्थ कोरिया पर बनी प्रतिबंध समिति को एक रिपोर्ट शुक्रवार को सौंपी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें विशेषज्ञों ने लिखा है," हालांकि किसी परमाणु परीक्षण या लंबी दूरी की किसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का परीक्षण नहीं किया गया लेकिन उत्तर कोरिया ने परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों के प्रोडक्शन की क्षमता का विकास करना जारी रखा."
साइबर अटैक का अवैध धंधा
नॉर्थ कोरिया के मॉनिटर्स का कहना है, साइबर अटैक और खास कर क्रिप्टोकरेंसी एसेट्स पर साइबर अटैक नॉर्थ कोरिया के लिए रेवेन्यू जुटाने का बड़ा ज़रिया बना रहा है और उन्हें जानकारी मिली है कि उत्तर कोरिया के हैकर वित्तीय संस्थानों, क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों और एक्सचेंज पर लगातार हमला कर रहे हैं."
इस रिपोर्ट में कहा गया है, " एक मेंबर स्टेट के अनुसा DPRK के साइबर अटैकर्स ने 2020 और 2021 के मध्य तक उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशिया के कम से कम तीन क्रिप्टोकेंसी एक्सचेंजेज़ पर हमला कर $50 मिलियन की क्रिप्टोकरेंसी चुराई.
मॉनिटर्स ने पिछले महीने साइबर सिक्योरिटी फर्म चेनालाइसेस की ओर से जारी एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि उत्तर कोरिया ने पिछले साल क्रिप्टोकरेंसी प्लैटफॉर्म्स (Crypto Currency Platform) पर कम से कम 7 हमले कर करीब $400 मिलियन की डिजिटल संपत्ति हथिया ली.
2019 में संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध निगरानीकर्ताओं ने रिपोर्ट किया था कि नॉर्थ कोरिया ने साइबर अटैक्स का प्रयोग कर मास डेस्ट्रक्शन के हथियार बनाने के लिए करीब $2 बिलियन बनाए.
पिछले कुछ सालों में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने नॉर्थ कोरिया पर कोयला, लोहा, लेड, कपड़े और समुद्री भोजन और क्रूड ऑइल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स निर्यात करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
उत्तर-कोरिया को आधिकारिक रूप से डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया( (DPRK) नाम से जाना जाता है. इस देश पर लंबे समय से परमाणु टेस्ट या बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंध लगे हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, " DPRK में परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल इंफ्रास्ट्रक्चर का रखरखाव और विकास जारी है. DPRK इसके लिए मटीरियल,तकनीक और जानकारी विदेशों से जुटाता है. इसमें साइबर तरीके और संयुक्त वैज्ञानिक रिसर्च भी शामिल है."
2006 से ही नॉर्थ कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगते रहे हैं. पिछले कुछ सालों में सुरक्षा परिषद ने इन्हें और कड़ा किया है ताकि प्योंगयांक की परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल परियोजना के लिए फंडिंग पर लगाम लग सके. संयुक्त राष्ट्र में नॉर्थ कोरिया के मिशन की ओर से इस रिपोर्ट पर अभी कोई जवाब नहीं आया है.