न्यूजीलैंड में आर्थिक मंदी का दौर शुरू हो गया है. गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, न्यूजीलैंड की कृषि-संचालित अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है. आम चुनावों से कुछ महीने पहले एक विनाशकारी चक्रवात ने व्यापक मंदी को बढ़ावा दिया है. न्यूजीलैंड में 2022 के अंत में 0.7 प्रतिशत की गिरावट के बाद पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 0.1 प्रतिशत तक गिर गई है. आम चुनाव से चार महीने पहले, देश के वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन ने स्वीकार किया कि मंदी में प्रवेश करना 'आश्चर्यजनक नहीं' था.
रॉबर्टसन ने कहा, "हम जानते हैं कि 2023 बेहद चुनौती से भरा वर्ष है, क्योंकि वैश्विक विकास धीमा है. मुद्रास्फीति लंबे समय तक बनी हुई है और उत्तरी द्वीप मौसम की घटनाओं के प्रभाव घरों और व्यवसायों पर पड़ रहे हैं." ऑकलैंड में जनवरी की बाढ़ और फरवरी में चक्रवात गेब्रियल की वजह से हुई तबाही दोनों का अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ा.
न्यूजीलैंड सरकार का अनुमान है कि मौसम के कारण आई आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 15 मिलियन न्यूजीलैंड डॉलर तक की लागत आएगी. यह 2020 के बाद न्यूजीलैंड की पहली मंदी है. पिछले साल कोरोना महामारी के कारण कई देशों को अपनी सीमाओं को बंद करना पड़ा था, जिससे निर्यात बंद हो गया था, तब भी न्यूजीलैंड में मंदी का दौर था.
विपक्षी वित्त प्रवक्ता निकोला विलिस ने कहा, "न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए लाल बत्ती चमक रही है, जो मुद्रास्फीति बढ़ने के बावजूद सिकुड़ गई है." कृषि, विनिर्माण, परिवहन और सेवाओं सभी में गिरावट देखी गई है.
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
कई देश जहां मंदी के दौर से गुजर रहे हैं, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल अच्छा कर रही है, बल्कि पिछले लगातार दो वर्षों से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. आगामी वर्षों में भी भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल भारत के विकास को गति दे रही है, बल्कि ठोस और दूरदर्शी प्रयासों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विकास का इंजन भी बन गई है.
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