ये माचा-माचा क्या है! दिल्ली से लंदन तक ड्रिंक ने क्यों मचाया क्रेज? सूखने लगे जापान में चाय बागान 

Matcha drinks Craze: जापान के माचा ड्रिंक्स का लोगों में इतना क्रेज क्यों है, इसे तैयार करने के लिए किस तरह का हुनर चाहिए होता है और इसकी पॉपुलैरिटी के बीच जापान सप्लाई बनाए रखने में संघर्ष क्यों कर रहा है? यहां समझिए

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
Matcha drinks Craze: जापान के माचा ड्रिंक्स का लोगों में इतना क्रेज क्यों है
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • माचा चाय की लोकप्रियता सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ी है, जिससे इसकी मांग में इजाफा हुआ है.
  • जापान में माचा की खपत इतनी बढ़ गई है कि वहां इसकी किल्लत होने लगी है.
  • लॉस एंजेलेस के कैफे में माचा के विभिन्न फ्लेवर उपलब्ध हैं, लेकिन स्टॉक में कमी देखी जा रही है.
  • माचा का स्वाद सामान्य चाय और कॉफी से अलग है, जिससे इसे पसंद करने वाले बढ़ रहे हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।

Matcha drinks Craze: दुनिया में आजकल एक तरह के चाय ने धूम मचा रखा है. उसका नाम है माचा. इस ड्रिंक का क्रेज सोशल मीडिया ने ऐसा मचाया है कि जिस बड़े सेलिब्रिटी के फीड पर देखो यह नजर आ रहा है. जापान से आने वाली इस ग्रीन टी की खपत ऐसी बढ़ी है कि जापान में इसकी किल्लत होने लगी है. चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर लोगों में इसका क्रेज इतना अधिक क्यों है, इसे तैयार करने के लिए किस तरह का हुनर चाहिए होता है और इसकी पॉपुलैरिटी के बीच जापान सप्लाई बनाए रखने में संघर्ष क्यों कर रहा है. हम आपको माचा भले यहां न पिला रहे हों, लेकिन उसकी कहानी, उसके फ्लेवर से आपको जरूर वाकिफ कराएंगे. तो शुरू करते हैं माचा के क्रेज से.

“कैफे में माचा ही नहीं बचा”

माचा को सोशल मीडिया पर स्टारडम मिल गया है और ग्लोबल लेबल पर उसकी कमी हो गई है. लॉस एंजिल्स के एक माचा कैफे में, पाउडर वाली यह जापानी चाय सटीकता (एक्यूरेसी) के साथ तैयार की जाती है. इस बार के फाउंडर जैच मैंगन ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि इस साल हॉलीवुड बुलेवार्ड पर खुलने वाले इस कैफे के मेन्यू में 25 प्रकार के माचा हैं. लेकिन इनमें से चार को छोड़कर सभी स्टॉक से बाहर थे.

उन्होंने कहा, "हमें कस्टमर्स को यह बताते हुए बुरा लगता है कि दुर्भाग्य से, हमारे पास वह नहीं है जो वे चाहते हैं.”

Advertisement

सवाल है कि यह इतना फेमस क्यों हो गया. जैच मैंगन का कहना है कि इसमें घास की सुगंध (ग्रासी अरोमा) तेज है, इसकी चटक रंग हैं और इसको पीकर तरोताजा महसूस होता है, मूड फ्रेश हो जाता है. माचा की लोकप्रियता "पिछले दशक में तेजी से बढ़ी है, लेकिन पिछले दो से तीन वर्षों में यह पहले से कहीं अधिक फेमस हो गया है."

Advertisement
हमें नोएडा के एक कैफे में अग्रिम जेटवानी मिले जो माचा बबल्स का लुत्फ उठा रहे थे. पेशे से टीचर अग्रिम से जब पूछा गया कि आखिर माचा में ऐसा क्या है जो उसे इतना वायरल कर रहा है. इसपर उन्होंने बताया, “माचा अच्छा इसीलिए लगता है क्योंकि उसका टेस्ट नार्मल चाय और कॉफी से काफी अलग होता है. अगर माचा को सही से बनाया जाये, चीनी के सटीक अमाउंट के साथ तो वह ड्रिंक बहुत ही अच्छा होता है.”

हालांकि उन्होंने साथ में एक डिस्क्लेमर भी दिया. “यह जरूर कहूंगा की ये ड्रिंक सबके लिए नहीं है क्योंकि इसका स्वाद शुरू-शुरू में थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन वक्त के साथ आप इसके टेस्ट को समझने लगेंगे और इसके अलावा कुछ और पसंद नहीं आएगा.”

Advertisement

जैच मैंगन का कहना है कि यह ड्रिंक अब पश्चिमी देशों में एक सांस्कृतिक संपर्क बिंदु (कल्चरल टचप्वाइंट) बन गया है जो आइसक्रीम फ्लेवर बोर्ड से लेकर स्टारबक्स तक हर जगह मिल रहा है. इससे हुआ यह कि माचा का बाजार सिर्फ एक वर्ष में लगभग दोगुना हो गया है.

Advertisement

अचानक इतने लोग माचा-माचा क्यों करने लगे?

माचा के क्रेज को सोशल मीडिया से जोड़ा जा रहा है. एंडी एला जैसे ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर्स ने इसको बढ़ावा दिया है, जिनके यूट्यूब पर 600,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं. उन्होंने माचा प्रोडक्ट्स का अपना ब्रांड शुरू किया है. टोक्यो के मशहूर हाराजुकु में उन्होंने एक कैफे खोला है. वहां दर्जनों फैंस इस 23 वर्षीय फ्रांसीसी इन्फ्लुएंसर्स के साथ फोटो लेने या स्ट्रॉबेरी या सफेद चॉकलेट के स्वाद वाले माचा के डिब्बे खरीदने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे.

कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट करने वाले केतन सैंड का मानना है कि माचा के क्रेज के पीछे एक बड़ा फैक्टर सोशल मीडिया है. यह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स  के देखकर लोगों की नजर में माचा अचानक कूल बन गया है और लोग अब इसे खरीद रहे हैं. लोग ट्रेंड के साथ बने रहना चाहते हैं, कई बार स्वाद पसंद नहीं आने पर भी माचा कैफे जा रहे हैं.

जापान पर माचा की पत्तियों की सप्लाई का प्रेशर

लॉस एंजिल्स से हजारों मील दूर, टोक्यो के उत्तर-पश्चिम में एक शहर है सयामा. वहां रहते हैं मासाहिरो ओकुटोमी जो अपने परिवार का चाय व्यवसाय चलाने वाली 15वीं पीढ़ी है. माचा की मांग को देखते हुए वो जितने खुश हैं, वो उतने चिंतित भी. उन्होंने कहा, "मुझे अपनी वेबसाइट पर यह लिखना पड़ा है कि हम अब और माचा ऑर्डर स्वीकार नहीं कर रहे हैं."

अपनी फैक्ट्री में मासाहिरो ओकुटोमी

माचा के पाउडर को टेनचा कहते हैं और उसका उत्पादन एक गहन प्रक्रिया है. तोड़े जाने से पहले कई हफ्तों तक उन्हें छांव में रखा जाता है ताकि स्वाद और पोषक तत्वों को बढ़ाया जा सके. फिर उन्हें सावधानी से हाथ से तोड़ा जाता है, सुखाया जाता है और एक मशीन में बारीक पीस लिया जाता है.

मासाहिरो ओकुटोमी ने कहा, "माचा को ठीक से बनाने में कई सालों की ट्रेनिंग लगती है. यह एक लंबा सफर है जिसके लिए उपकरण, श्रम और निवेश की आवश्यकता होती है." उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि दुनिया हमारे माचा में दिलचस्पी ले रही है... लेकिन अभी के लिए यह एक खतरे जैसा है - हम इसकी सप्लाई को बरकरार नहीं रख सकते."

जापान के कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में, जापान से निर्यात की गई 8,798 टन हरी चाय में माचा की हिस्सेदारी आधे से अधिक थी, जो एक दशक पहले की तुलना में दोगुनी है. माचा के वैश्विक बाजार का मूल्य अरबों डॉलर होने का अनुमान है.

जापान की सरकार लागत कम करने के लिए चाय उत्पादकों को बड़े पैमाने पर माचा की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. लेकिन ओकुटोमी का कहना है कि इससे गुणवत्ता के नुकसान का जोखिम है, और "छोटे ग्रामीण क्षेत्रों में, यह लगभग असंभव है." उन्होंने कहा कि जापान में चाय बागानों की संख्या 20 साल पहले की तुलना में घटकर एक चौथाई रह गई है, क्योंकि किसानों की उम्र बढ़ रही है और उनके लिए अगली पीढ़ी के हाथ में माचा की खेती सौंपना मुश्किल हो रहा है.

ओकुटोमी ने कहा, "नई पीढ़ी को ट्रेनिंग देने में समय लगता है... इसे अचानक सुधारा नहीं जा सकता."

यह भी पढ़ें: क्या माचा टी पीने के इन गजब के फायदों के बारे में जानते हैं आप?

Featured Video Of The Day
CUET (UG) 2025 का Result घोषित, 10 लाख से ज्यादा छात्रों का इंतजार खत्म
Topics mentioned in this article