हर दिन बिगड़ते हालात और मौत के बढ़ते आंकड़े इस बात की गवाही है कि मिडिल-ईस्ट एक बड़े युद्ध की तरफ बढ़ रहा है..और 17 सितंबर को लेबनान में हिज्बुल्लाह के चीफ कमांडर नसरल्लाह की मौत ने इस युद्ध की आशंका को और बढ़ा दिया है. नसरल्लाह की मौत के बाद इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच दशकों से चली आ रही दुश्मनी अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गई. इन सबके बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिससे हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की लोकप्रियता आंक सकते हैं.
दरअसल नसरल्लाह की मौत को अरब देश शहादत के तौर पर देखते हैं और यह शहादत कितना महत्व रखती है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इराक समेत कई देशों में माता-पिता ने अपने नवजात बच्चों के नाम नसरल्लाह रख दिए. इस बात की पुष्टि इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है. मंत्रालय ने जानकारी दी है कि उन्होंने 100 से अधिक नवजातों का नाम नसरल्लाह पंजीकृत किया है.
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अरब देशों में ताकतवर और प्रभावशाली नेता था हसन नसरल्लाह
अरब देशों में हसन नसरल्लाह एक ताकतवर और प्रभावशाली नेता माने जाते थे. हिजबुल्लाह को ताकतवर बनाने में नसरल्लाह की अहम भूमिका रही है. दुनिया के सबसे रहस्यमयी और खतरनाक नेताओं में से एक हसन नसरल्लाह 32 साल से हिज्बुल्लाह का मुखिया था. उसने हिज्बुल्लाह को सिर्फ एक मिलिट्री ग्रुप नहीं, बल्कि लेबनान की सियासत और मिडल ईस्ट की पावर डायनामिक्स का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनाया. हालांकि नसरल्लाह को लेकर हमेशा एक सवाल रहा कि वह छुपकर रहना पसंद करता था. नसरल्लाह ने न सिर्फ इजरायल को हर मोर्चे पर चुनौती दी, बल्कि अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए दशकों से छुपकर रह रहा था. यहां तक कि वह फोन का इस्तेमाल भी नहीं करता था. यही कारण है कि अरब देशों में नसरल्लाह को फॉलो करने वालों की संख्या लाखों में है जो एक इशारे में कुछ भी करने को तैयार थे. जब नसरल्लाह की मौत हुई तो उसके समर्थकों ने दुनियाभर में प्रदर्शन किया.
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शहर पर किए गए बड़े हमले में मारा गया नसरल्लाह
बता दें कि 17 सितंबर को बेरूत में एक भूमिगत बंकर को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हवाई हमले में हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत हो गई. दक्षिणी बेरूत में हुए हमले में नसरल्लाह की जान गई. इस हमले को हाल के इतिहास में किसी शहर पर सबसे बड़े हमलों में से एक बताया गया.
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वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के हमलों का तत्काल जवाब नहीं देने का दबाव ईरान हिज्बुल्लाह पर बना रहा था, जिसके चलते नसरल्लाह और हिज्बुल्लाह के बड़े कमांडर रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए इस बंकर में इकट्ठा हुए थे. बताया जा रहा है कि यह बंकर हिज्बुल्लाह का मुख्यालय था. इसे खास तौर पर जमीन से 60 फीट नीचे तक बनाया गया था. इसका मकसद किसी भी हवाई हमले से बचाव था. हालांकि गलती यह हुई कि इस बंकर की जानकारी इजरायल को भी थी, जिसका फायदा इजरायल ने ऐन मौके पर उठाया. इजरायली सेना ने हमले में 60 फीट नीचे किलेबंद बंकर को निशाना बनाया और नसरल्लाह को मार गिराया.
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