लीबिया में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सहायता की खेप पहुंचनी शुरू हो गई, जिससे जीवित बचे लोगों के होने की उम्मीद कम होने के बावजूद हजारों लोगों को जीवनदान मिला. रविवार को अचानक आई बाढ़ ने बंदरगाह शहर डर्ना को जलमग्न कर दिया, जिससे हजारों लोग और घर समुद्र में बह गए. दरअसल, तूफान के कारण हुई मूसलाधार बारिश के दबाव में दो बांध टूट गए थे.
आपदा में हुई मौतों की स्पष्ट सूची नहीं मिल पाई है. पूर्वी प्रशासन के स्वास्थ्य मंत्री ओथमान अब्देलजालिल ने कहा है कि मरने वालों की संख्या 3,166 है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा, "3,958 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं और उनकी पहचान कर ली गई है". जबकि 9,000 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं. संगठन ने बताया कि कि पूर्वी शहर बेंगाजी में 29 टन सहायता पहुंच चुकी है.
डब्ल्यूएचओ के लीबिया प्रतिनिधि अहमद ज़ोउटेन ने कहा, "यह विशाल आपदा है." बाढ़ के कारण समुद्र में बह जाने वालो लोगों के शव अभी भी किनारे पर बह रहे हैं. टाइम्स ऑफ माल्टा अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, माल्टा के नागरिक सुरक्षा विभाग के एक बचाव दल ने शुक्रवार को समुद्र तट को शवों से भरा हुआ पाया.
एएफपी के एक संवाददाता ने सहायता से भरे दो विमानों को, एक संयुक्त अरब अमीरात से और दूसरा ईरान से, डेर्ना से 300 किलोमीटर (190 मील) पश्चिम में बेंगाजी में उतरते देखा. इतालवी दूतावास ने कहा कि एक जहाज दो हेलीकॉप्टर, बुलडोजर, तंबू, कंबल और पंप के साथ डेर्ना पहुंचा है.
सऊदी अरब और कुवैत से कई टन सहायता भी पूर्व में पहुंची है. साथ ही फ्रांस से एक फील्ड अस्पताल भी.
बेंगाजी मेडिकल सेंटर के चिकित्सा निदेशक हातेम अल-तवाहनी ने एएफपी को बताया कि डर्ना के 15 घायलों का अब वहां इलाज किया जा रहा है.
एक मरीज़, ईद कायत अब्देल ख़लीफ़, डेरना में काम कर रहा था जब बाढ़ आई. उन्होंने कहा कि मिस्र में उनके गृहनगर अल-शरीफ के 75 लोग मारे गए. उन्होंने कहा, "हमारे पास उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है."
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